Basmati Rice GI Tagging: एमपी और पंजाब आमने-सामने, पीएम को पत्र, सीएम शिवराज और अमरिंदर में ठनी
By शिवअनुराग पटैरया | Published: August 6, 2020 06:00 PM2020-08-06T18:00:38+5:302020-08-06T18:00:38+5:30
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि मैं पंजाब सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की निंदा करता हूं और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूं.
भोपालः मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग देने के विरोध में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखने पर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह आमने-सामने आ गए हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब सरकार द्वारा किए गए विरोध पर आपत्ति और नाराजगी जताई है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि मैं पंजाब सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के बासमती चावल को जीआई टैगिंग देने के मामले में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की निंदा करता हूं और इसे राजनीति से प्रेरित मानता हूं.
मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्वीट के जरिए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से पूछा है कि आखिर उनकी मध्य प्रदेश के किसान बंधुओं से क्या दुश्मनी है? ये मध्य प्रदेश या पंजाब का मामला नहीं, पूरे देश के किसान और उनकी आजीविका का विषय है.
मैं मध्यप्रदेश के अपने बासमती उत्पादन करने वाले किसानों की लड़ाई लड़ रहा हूं। उनके पसीने की पूरी कीमत उन्हें दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा। GI टैगिंग के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है। मुझे विश्वास है कि प्रदेश के किसानों को न्याय अवश्य मिलेगा।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 6, 2020
टैगिंग से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मध्य प्रदेश को मिलने वाले जीआई टैगिंग से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारत के बासमती चावल की कीमतों को स्टेबिलिटी मिलेगी और देश के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने यह भी जिक्र किया कि मध्य प्रदेश के 13 जिलों में साल 1908 से बासमती चावल का उत्पादन हो रहा है, इसका लिखित इतिहास भी है.
मध्यप्रदेश के बासमती को GI दर्जा देने के लिए रजिस्ट्रार ज्योलॉजिकल इंडीकेशन, चेन्नई ने APEDA को आदेशित किया है। प्रदेश में बासमती की खेती परम्परागत रूप से होने के संबंध में IIRR हैदराबाद एवं अन्य विशेषज्ञ संस्थाओं द्वारा प्रतिवेदित किया गया है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) August 6, 2020
सिंधिया स्टेट के रिकार्ड में अंकित है कि साल 1944 में प्रदेश के किसानों को बीज की आपूर्ति की गई थी. उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा के बासमती निर्यातक मध्यप्रदेश से बासमती चावल खरीद रहे हैं. भारत सरकार के निर्यात के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं.
भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्य प्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही
भारत सरकार वर्ष 1999 से मध्य प्रदेश को बासमती चावल के ब्रीडर बीज की आपूर्ति कर रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर कहा कि मैं मध्यप्रदेश के अपने बासमती उत्पादन करने वाले किसानों की लड़ाई लड़ रहा हूं. उनके पसीने की पूरी कीमत उन्हें दिलाकर ही चैन की सांस लूंगा.
जी आई टैगिंग के संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर अवगत करा दिया है. मुझे विश्वास है कि प्रदेश के किसानों को न्याय अवश्य मिलेगा. चौहान ने एक और ट्वीट में कहा कि मैं भारत सरकार से अनुरोध करता हूं कि मध्य प्रदेश के किसानों के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठायें.
प्रदेश के बासमती को जी आई दर्जा प्रदान किये जाने के संबंध में सर्व-संबंधितों को निर्देशित करने का कष्ट करें, ताकि बासमती किसानों को उनका हक मिल सके. इसी मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश के जेल, गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुुए कहा है कि उन्हें यह बताना चाहिए कि वह प्रदेश के किसानों के साथ या पंजाब के मुख्यमंत्री का समर्थन करते हैं.