सुप्रीम कोर्ट से आजम खान के बेटे को झटका, विधायकी रद्द पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 17, 2020 01:34 PM2020-01-17T13:34:00+5:302020-01-17T14:32:04+5:30
उच्चतम न्यायालय ने आजम के बेटे के उत्तर प्रदेश विधानसभा में निर्वाचन को चुनौती देने वाले प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किए है। समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान ने अपनी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने सपा सांसद मोहम्मद आजम खां के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां का उप्र विधानसभा के लिये निर्वाचन रद्द करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने से शुक्रवार को इंकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने बसपा प्रत्याशी नवाज काजिम अली खां को हराने वाले मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां का निर्वाचन इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उनकी आयु कम थी और वह 2017 में चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खां की याचिका पर निर्वाचन आयोग और रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर पराजित हुये बसपा के नवाज काजिम अली खां नोटिस जारी किये।
दोनों को चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है। पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई की जायेगी क्योंकि स्कूल रिकार्ड के अलावा कुछ अन्य दस्तावेज पेश करके यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि अब्दुल्ला आजम खां चुनाव लड़ने के योग्य थे। ये दस्तावेज पेश करके उनके चुनाव लड़ने की पात्रता के बारे में कुछ संशय पैदा किया गया है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला पढ़ा है, यह साक्ष्य पर आधारित है।’’ अब्दुल्ला खां ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुये 17 दिसंबर को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि 2017 के चुनाव के लिये नामांकन पत्र दाखिल करते समय वह 25 साल के नहीं हुये थे और इसलिए वह विधानसभा का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे।
बसपा के पराजित उम्मीदवार नवाज काजिम अली खां ने अब्दुल्ला खां के निर्वाचन के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर याचिका में दावा किया था कि निर्वाचित विधायक की वास्तविक जन्म तिथि 30 सितंबर, 1990 नहीं बल्कि एक जनवरी, 1993 है। अब्दुल्ला खां ने नामांकन पत्र में अपनी जन्म तिथि 30 सितंबर, 1990 लिखी थी।
अब्दुल्ला खां राज्य विधानसभा के लिये हुये चुनाव में 11 मार्च 2017 को समाजवादी पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुये थे। इस निर्वाचन को चुनौती देते हुये उच्च न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया था कि अब्दुल्ला खां के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और वीजा पर सपा नेता की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 दर्ज है। उच्च न्यायालय ने अपने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया था कि निर्वाचन आयोग और उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष को आगे की कार्रवाई के लिये इस फैसले से अवगत कराया जाये।
BSP leader Nawab Kazim Ali Khan had challenged the election of SP leader Azam Khan’s son, Mohammad Abdullah Azam Khan as UP MLA in 2017, claiming that Abdullah was underage at the time of elections. https://t.co/lzRY0TBJ33
— ANI (@ANI) January 17, 2020
उच्च न्यायालय ने काजिम अली की याचिका को सही मानते हुए आजम खान के बेटे की विधानसभा सदस्यता सोमवार को रद्द कर दी थी। काजिम अली ने उच्च न्यायालय से कहा था कि मोहम्मद अब्दुल्ला की वास्तविक जन्मतिथि एक जनवरी 1993 है, न कि 30 सितंबर 1990 जैसा कि उन्होंने नामांकन पत्र में दावा किया था।