नागरिकता संशोधन बिल: असदुद्दीन ओवैसी ने कहा-"इस विधेयक के कानून बनने पर गृह मंत्री को हिटलर के रूप में याद किया जाएगा"
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 9, 2019 01:16 PM2019-12-09T13:16:00+5:302019-12-09T13:18:56+5:30
ओवैसी ने कहा कि भारत सरकार के इस कदम को नाजी शासक के दमनकारी न्यूमबर्ग रेस कानून और इजरायल के नागरिकता अधिनियम के समान बता दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद भविष्य में गृह मंत्री को हिटलर के रूप में याद किया जाएगा।
संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक को देश के गृ मंत्री अमित शाह ने पेश किया। इसके बाद सदन में इस विषय पर विधेयक के पक्ष व विपक्ष में चर्चा हो रही है। इसी दौरान सदन में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "मैं आपसे (स्पीकर) अपील करता हूं, इस तरह के कानून से देश को और गृह मंत्री को भी बचाओ।"
इसके अलावा ओवैसी ने भारत सरकार के इस कदम को नाजी शासक के दमनकारी न्यूमबर्ग रेस कानून और इजरायल के नागरिकता अधिनियम के समान बता दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद भविष्य में गृह मंत्री को हिटलर के रूप में याद किया जाएगा।
बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया। इस पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा 'नागरिकता संसोधन बिल सिर्फ हमारे देश के अल्पसंख्यक लोगों पर लक्षित कानून के अलावा कुछ नहीं है"।
चौधरी ने कहा 'ये बिल अल्पसंख्यक और संविधान के खिलाफ है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि इससे आर्टिकल 13, आर्टिकल 14 को कमजोर किया जा रहा है। ।इस बात का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के .001 प्रतिशत भी खिलाफ नहीं है।
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, to Opposition on https://twitter.com/hashtag/CitizenshipAmendmentBill2019?src=hash&r…">#CitizenshipAmendmentBill2019 : I will answer all questions on the Bill. Tab House se walkout mat karna. https://t.co/x6fZwdN3Li">https://t.co/x6fZwdN3Li; https://t.co/qYi72NonZl">pic.twitter.com/qYi72NonZl
— ANI (@ANI) https://twitter.com/ANI/status/1203931810805059584?ref_src=twsrc%5Etfw">December 9, 2019
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी):
-यह बिल नागरिकता बिल 1955 में संशोधन करता है, जिससे चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का पात्र बनाया जा सके।
-नागरिकता संशोधन बिल का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले छह समुदायों-हिंदू, सिख, जैन बौद्ध, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देना है।
-इस बिल में इन छह समुदायों को ऐसे लोगों को भी नागरिकता देने का प्रस्ताव है, जो वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना ही भारत आए गए थे या जिनके दस्तावेजों की समय सीमा समाप्त हो गई है।
-अगर कोई व्यक्ति, इन तीन देशों से के उपरोक्त धर्मों से संबंधित है, और उसके पास अपने माता-पिता के जन्म का प्रमाण नहीं है, तो वे भारत में छह साल निवास के बाद भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
-ये संशोधित बिल उन लोगों पर लागू होता है, जिन्हें धर्म के आधार पर उत्पीड़न की वजह से भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।