जोधपुर के महाराजा के अनोखे हथियार, डिजाइनों को देखकर रह जाएंगे हैरान

By संदीप दाहिमा | Published: January 5, 2021 02:55 PM2021-01-05T14:55:45+5:302021-01-05T14:55:45+5:30

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जोधपुर के प्राचीन राजवंश की स्थापना आठवीं शताब्दी में हुई थी। इस राजवंश के सिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति को महाराज जोधपुर कहा जाता है। महाराज जोधपुर की तोपों की उस समय मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक खूब चर्चा हो रही थी। इस बंदूक संग्रह की तस्वीरें aajtak.in द्वारा सभी के ध्यान में लाई गई हैं। आइए देखते हैं महाराज जोधपुर में तोपों का विशेष संग्रह ...।

इस तस्वीर में एक कैस्ड कोल्ट सेल्फ लोडिंग पिस्तौल दिखाई गई है। यह 32 पॉइंट पिस्टल 1924 में बनाई गई थी।

Nüremburg eight–shot revolver dated 1597 bearing the spur workshop stamp of Hans Stopler. Maihaugen Museum, Lillehammer, Norway.Camilla Damgård, Maihaugen

इस तस्वीर में छह शॉट स्नैपहिन रिवाल्विंग गन है। जिसे सत्रहवीं शताब्दी में लंदन के जॉन डेफ्ट ने बनाया था।

इस तस्वीर में 18 वीं सदी केमैन गन जुजारबा को दिखाया गया है।

यह 18 वीं शताब्दी में बनाई गई एक बन्दूक है और बाद में इसे 19 वीं शताब्दी में संशोधित किया गया है।

यह BLUNDERBUSS है, इसे 19 वीं शताब्दी में बनाया गया था।

यह सुअरों को मारने के लिए रायपुर जोधपुर के कुमार फतेह सिंह केसरी सिंहोत का हथियार था। उनके पास बंदूकें थीं लेकिन वे इस हथियार से सूअर का शिकार करते थे।

इस फोटो में चंडावल के राजा हरि सिंह और पाटीकोट के हिंदू सिंह दरबारियों के साथ हैं। उन्होंने जोधपुर पर 1760 से 1770 तक शासन किया। उनके पास हाथी दांत से बने हथियार थे।

यह अठारहवीं सदी की मल्टी बैरल पिस्तौल है। इसे बहुत ही अलग तरीके से डिजाइन किया गया था।

सत्रहवीं सदी के गुजराती मछली के आकार की मदर-ऑफ-पर्ल प्राइमिंग फ्लास्क को पिस्तौल के पंजे के साथ लकड़ी के कोर पर स्थापित किया गया था।