कोरोना और ब्लैक फंगस को हवा में खत्म कर देगा ये एयर प्यूरीफायर, कानपुर आईआईटी की खोज

By संदीप दाहिमा | Published: May 25, 2021 07:11 AM2021-05-25T07:11:03+5:302021-05-25T07:11:03+5:30

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देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कुछ धीमी पड़ने लगी है. लेकिन अब ब्लैक फंगस ने लोगों को परेशान कर रखा है। तीसरी लहर की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है।

कई शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस हवा के जरिए नाक और मुंह तक पहुंच सकता है। इन दावों में IIT मुंबई की ओर से एक अच्छी खबर है। IIT कानपुर और उन्होंने संयुक्त रूप से पहला रोगाणुरोधी वायु शोधक विकसित किया है।

इस एयर प्यूरीफायर को बनाने वाली कंपनी इन्क्यूबेटर अर्थ का दावा है कि यह प्यूरीफायर किसी भी तरह के कीटाणु, वायरस, फंगस, बैक्टीरिया को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

रोगाणुरोधी वायु शोधक को IIT वैज्ञानिकों की देखरेख में विकसित किया गया है। यह प्यूरीफायर 600 वर्ग फीट हवा को वायरस और बैक्टीरिया से मुक्त करता है। यह 1 बीएचके फ्लैट जैसा है।

अर्थ कंपनी के सीईओ रवि कौशिक के मुताबिक अस्पतालों में यह एक बड़ी समस्या है। मरीज के आसपास की हवा में वायरस प्रचुर मात्रा में होता है, सवाल यह है कि इसे बाहर कैसे निकाला जाए। इससे उन्हें हवा में वायरस को मारने के लिए दो विकल्प मिलते हैं। पहला यूवी लाइट और दूसरा केमिकल स्प्रे से। इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब कोई मरीज न हो। क्योंकि ये दोनों ही विकल्प इंसानों के लिए हानिकारक हैं।

पहला यूवी लाइट और दूसरा केमिकल स्प्रे से। इन दोनों विकल्पों का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब कोई मरीज न हो। क्योंकि ये दोनों ही विकल्प इंसानों के लिए हानिकारक हैं।

कौशिक ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए दोनों आईआईटी ने एक नया उपकरण विकसित किया है। इसे रोगाणुरोधी वायु शोधक कहा जाता है। यह तीन बातों पर आधारित है। वास्तविक समय में कवक, बैक्टीरिया और वायरस को निष्क्रिय कर सकते हैं।

एक और बात यह है कि लोग इस प्यूरीफायर का इस्तेमाल अपने आसपास हर समय कर सकते हैं। तीसरी बात यह है कि यह पूरी तरह से सुरक्षित है। इसका शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।

उनका निष्क्रिय होना तब शुरू होता है जब लाइव वायरस वायु फिल्टर में प्रवेश करते हैं।

इस रोगाणुरोधी वायु शोधक का परीक्षण दो अलग-अलग प्रयोगशालाओं में किया गया है।

यह प्यूरीफायर कोरोना वायरस और फंगस जैसे छोटे कणों को भी निष्क्रिय कर सकता है। इससे परिवेशी वायु 99 प्रतिशत शुद्ध रहती है।