चैत्र नवरात्रि 2019: 'अखंड ज्योति' के इन खास नियमों का रखें ध्यान, नौ देवियों की बरसेगी कृपा By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 6, 2019 07:36 AM 2019-04-06T07:36:47+5:30 2019-04-06T07:36:47+5:30
Next Next हिन्दू धर्म का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 6 अप्रैल, दिन शनिवार से प्रारंभ हो रहा है। यह पर्व 14 अप्रैल, दिन रविवार को समाप्त हो रहा है। यह नौ दिन का पर्व होता है जिसमें आदि शक्ति के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। वर्ष में दो बार - चैत्र और आषाढ़ के समय मनाए जाने वाले इस नवरात्रि पर्व के समय को सभी के लिए भाग्यशाली माना जाता है। इसलिए इस दौरान सभी शुभ कार्य करने की सलाह दी जाती है।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापन शुभ मुहूर्त, महत्व : नवरात्रि के प्रथम दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही घर में नवरात्रि कलश की स्थापना की जाती है। ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त लाभ एवं अमृत चौघड़िया तथा शुभ अभिजीत मुहुर्त्त में किया जाना अति उत्तम होता है। इस वर्ष घट स्थापना प्रातःकाल 07:20 बजे से 08:53 बजे तक शुभ चौघड़िया में सर्वोत्तम है। यदि किसी कारण इस शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित नहीं कर पाए हैं तो अभिजीत मुहूर्त एवं मध्यान्ह 11:30 से 12:18 बजे तक का समय भी इस कार्य के लिए उत्तम होगा। वैसे इस वर्ष घटस्थापना सुबह सूर्योदय से दोपहर 02:58 से पूर्व प्रतिपदा तिथि में किया जा सकता है।
नवरात्रि अखंड ज्योति क्या है? : जिस प्रकार से नवरात्रि के प्रथम दिन घटस्थापन की पूजा करके कलश स्थापित किया जाता है, ठीक इसी प्रकार से कई हिन्दू परिवारों में माता के नाम की ज्योति भी जलाई जाती है। इस ज्योति को नवरात्रि के नौ दिनों तक लगातार जलाया जाता है। इसलिए इसका नाम 'अखंड ज्योति' है। हिन्दू शास्त्रों में अखंड ज्योति को अंतर्मन के प्रकाश से जोड़ा जाता है। संस्कृत के एक श्लोक में कहा गया है - 'असतो मां सदगमय, तमसो मां ज्योतिर्गमय' अर्थात् हे मां हमें असत्य से सत्य की ओर ले जाओ और ज्योति जलाकर अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। शास्त्रों में नवरात्रि और कई अन्य शुभ अवसरों पर अखंड दीप जलाने का विधान है।
नवरात्रि अखंड ज्योति का ये है महत्व: नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व होता है। कलश स्थापित करने के बाद एक पात्र में अखंड ज्योति जलाई जाती है। मान्यता है कि अखंड ज्योति पूजा में भक्त की श्रद्धा का प्रतीक होती है। नवरात्रि के पहले दिन जब संकल्प के साथ कलश स्थापित किया जाता है तो उसी संकल्प के साथ ये अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। कलश स्थापित होते वक्त नौ दिनों तक उपासना का भी संकल्प लिया जाता है। जब नौवें दिन व्रत समाप्त हो जाए तो इसे अपने आप बुझ जाने दिया जाता है। लेकिन खुद अपने हाथों से इन ज्योति को कभी भी बुझाया नहीं जाता। ऐसा करना अशुभ माना जाता है।
ऐसे जलाएं नवरात्रि अखंड ज्योति: मंदिरों और पूजा-पाठ के लिए बने घरों में अक्सल लोग अखंड ज्योति पीतल जैसे पात्रों में जलाते हैं और लोगों को लगता है कि अखंड ज्योति केवल इसी बर्तन में जयाला जाता है। जिससे देवी कि देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे। लेकिन अगर आपके पास पीतल के बर्तन नहीं उपलब्ध हैं तो आप मिट्टी के बने पात्र में अखंड ज्योति जला सकते हैं। जैसा कि नवरात्रि के पहले दिन से आखिरी दिन तक दीप जलने का विधान है। इससे हमेशा देवी जी की कृपा बनी रहती है। मिट्टी के पात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले साफ पानी में पात्र को कुछ देर तकर डुबाकर रखें। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि तेल का इस्तेमाल कम हो सके। क्योंकि मिट्टी के पात्र सोख्ते का काम करते हैं।
अखंड ज्योति से जुड़े 5 नियम: 1) अगर आपके घर में नवरात्रि की अखंड ज्योति विराजमान है, नवरात्रि कलश सजाया गया है तो घर कभी खाली ना छोड़ें। घर का कोई एक सदस्य हर पल घर में रहना चाहिए, 2) जिस घर में नवरात्रि का कलश और अखंड ज्योति स्थापित हो उस घर में प्याज, लहसुन आदि तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन या इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, 3) अखंड ज्योति जलने के बाद घर का कोई भी सदस्यों को शराब, तम्बाकू आदि नशीले पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए, 4) इस दौरान घर के किसी भी सदस्य को काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए, 5) अखंड ज्योति जलाने के बाद बेल्ट, चप्पल-जूते, चमड़े के बैग आदि चीजों को घर के पूजा स्थल से दूर रखें