मंटो जयंती: कहानियाँ जिसकी जेब में रहती थीं, छह कहानियों पर चले थे अश्लीलता के मुकदमे

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: May 11, 2018 02:32 PM2018-05-11T14:32:52+5:302018-05-11T14:46:59+5:30

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मंटो से बड़ा उर्दू अफसानानिगार खोजना मुश्किल है। जीते जी मंटो को दुनिया बहुत रास नहीं आई।

उन्हें महज 42 साल की उम्र मिली थी जिसमें रोजगार और परिवार के पाटों के बीच पिसते हुए हिंदुस्तानी अदब को कई क्लासिक कहानियाँ दीं।

शॉर्ट स्टोरीज (कहानी) लेखन में उनकी तुलना मोपासां से की जाती है।

हिंदुस्तान में भी कहानी लेखकों में उनकी तुलना उनके अग्रज प्रेमचंद के सिवा शायद ही किसी हो सके।

11 मई 1912 को अविभाजित हिंदुस्तान के लुधियाना में मंटो का जन्म हुआ।

18 जनवरी 1955 को पाकिस्तान के लाहौर में उन्होंने आखिरी साँस ली।

मंटो के अफसाने जितने मशहूर हैं उतने ही मकबूल उनके निजी जीवन के प्रसंग हैं।

मंटों के जाती जिंदगी में सबसे ज्यादा चर्चा उन छह मुकदमों की होती है जिनकी वजह से उन पर अदालत में अश्लीलता को बढ़ावा देने मुकदमे

तीन अविभाजित हिंदुस्तान को कोर्टों में, तीन नए मुल्क पाकिस्तान की अदालतों में।

इसे भी विडंबना ही समझना चाहिए खुद मंटो के पिता लुधियाना की स्थानीय अदालत में जज थे।

पाँच मामलों में वो सभी आरोपों से बरी हो गये, एक मामले में उन पर जुर्माना हुआ था।