Covaxin की कीमत क्यों अधिक है ? जानिए वजह...

By संदीप दाहिमा | Published: June 14, 2021 01:26 PM2021-06-14T13:26:05+5:302021-06-14T13:26:05+5:30

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार द्वारा 21 जून से सभी को मुफ्त टीका उपलब्ध कराया जाएगा। हालांकि, निजी अस्पतालों को 25% टीके सीधे वैक्सीनेटरों से उपलब्ध होंगे। इसके लिए केंद्र ने टीकों की कीमत भी तय की है। कोवासिन सबसे महंगा टीका है।

जानकारों के मुताबिक टीकों की कीमत इसलिए ज्यादा है क्योंकि कोवासिन बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक महंगी है। (For all its “made in India” pitch, Covaxin is the most expensive Covid-19 vaccine in India)

कोवासिन का टीका बनाने के लिए पूरी तरह से निष्क्रिय वायरस का उपयोग किया जाता है।

पूरी तरह से निष्क्रिय कोरोना वायरस का इस्तेमाल कर वैक्सीन बनाने के लिए सैकड़ों लीटर महंगे सीरम का आयात करना पड़ता है

अत्यधिक बायोडिग्रेडेबल प्रयोगशालाओं में, इन सीरमों में वायरस को सावधानी से उगाया जाता है। इसके बाद वायरस निष्क्रिय हो जाता है।

भारत बायोटेक और आईसीएमआर का संयुक्त उद्यम कोवासिन वैक्सीन महंगा है क्योंकि अन्य टीकों की तुलना में पूरी प्रक्रिया महंगी है।

कोविशील्ड, स्पुतनिक सस्ता क्यों है ? : कोवासिन के विपरीत, इन टीकों के लिए महंगी तकनीक की आवश्यकता नहीं होती है।

चूंकि इन दोनों टीकों का निर्माण mRNA तकनीक का उपयोग करके किया जाता है, इसलिए इन्हें किसी बड़े सिस्टम की आवश्यकता नहीं होती है। यह तकनीक वास्तविक कोरोना वायरस का उपयोग नहीं करती है।

वैक्सीन मूल्य निर्धारण में कच्चे माल, पैकेजिंग, वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया, इसके रखरखाव, लाइसेंस, चिकित्सा परीक्षण, उत्पादन की लागत आदि जैसे कारक शामिल हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय वैक्सीन निर्माता प्रति खुराक 3 रुपये से 4 रुपये के बीच कमाते हैं।

भारत में बनी कोवासिन सबसे महंगी वैक्सीन है, कोवासिन का टीका कोवशील्ड से दोगुना महंगा है।