तांबे के बर्तन में पानी पीने के फायदे और नुकसान, पेट, लीवर और किडनी के लिए है कितना लाभदायक

By संदीप दाहिमा | Published: June 29, 2022 05:22 PM2022-06-29T17:22:26+5:302022-06-29T17:26:50+5:30

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कई लोग सुबह-सुबह तांबे के बर्तन में रखन पानी पीना पसंद करते हैं। माना जाता है कि इससे शरीर स्वस्थ व निरोग रहता है। इससे शरीर में कॉपर की कमी पूरी होने के साथ बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं से रक्षा होती है। इतना ही नहीं, ऐसा करने से बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है।

नियमित रूप से तांबे के बर्तन में पानी पीने से शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं और पेट की सफाई होती है। इसे शुद्ध माना जाता है क्योंकि यह सभी प्रकार के बैक्टीरिया को खत्म कर देता है।इस पानी को कम से कम 8 घंटे तक तांबे के बर्तन में रखा जाना चाहिए।

मर जाते हैं विषाणु - एक अध्ययन के अनुसार तांबे के पात्र में जल रखने से इसकी अशुद्धियों को भी कम किया जा सकता है। अध्ययन में पाया गया कि 16 घंटे तक इस धातु के पात्र में पानी रखने से उसमें मौजूद ज्यादातर जीवाणु मर गए। उस पानी में विशेष रूप से मौजूद ‘पेचिश के विषाणु’ और ‘ई-कोलाई’ के अमीबा तो पूरी तरह समाप्त हो गए।

आयुर्वेद में तांबे की मदद से औषधियों का निर्माण भी किया जाता है। यह पेट के रोग, ज्वर, लीवर रोग, हिचकी, अफारा, अतिसार, पीलिया, हैजा और किडनी की पथरी के लिए फायदेमंद है।

इसके अलावा लीवर और किडनी को स्वस्थ रखता है और किसी भी प्रकार के इंफेक्शन से निपटने में तांबे के बर्तन में रखा पानी लाभदायक होता है। यह शरीर की आंतरिक सफाई के लिए बेहतर होता है।