रोगियों में त्वचा संबंधी रोगों का पता लगाने के लिए एम्स ने ऐप शुरू किया

By संदीप दाहिमा | Published: May 28, 2022 06:14 PM2022-05-28T18:14:30+5:302022-05-28T18:17:33+5:30

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने न्यूरिथम प्रयोगशाला नामक स्टार्ट-अप के साथ मिलकर कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित एक ऐप की शुरूआत की है जो मुंह के कैंसर व त्वचा संबंधी रोगों का पता लगाने और सटीकता से समस्याओं के समाधान में सहायक है।

एम्स के त्वचाविज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ सोमेश गुप्ता ने ''पीटीआई-भाषा'' को बताया कि त्वचा रोग निदान समाधान 'डर्म एड' ऐप में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित कलन विधि (एल्गोरिथम) का उपयोग किया जाता है। सामान्य चिकित्सकों के लिए, यह त्वचा की स्थिति को समझने की उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए एक नैदानिक उपकरण है।

डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि यह विशेष रूप से प्रासंगिक है क्योंकि अध्ययनों से पता चला है कि त्वचा विशेषज्ञों की तुलना में सामान्य चिकित्सकों के बीच नैदानिक ​​सटीकता 40 से 50 प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ''ऐप के पीछे की तकनीक सरल है। एक डॉक्टर किसी मरीज के शरीर पर घावों की तस्वीर लेता है और उन्हें क्लाउड सर्वर पर अपलोड करता है।

15-30 सेकंड के भीतर, ऐप विश्लेषण के आधार पर संभावित रोग की स्थिति बताता है।" भारत में त्वचा संबंधी कवक संक्रमणों में वृद्धि देखी जा रही है जो एक्जिमा जैसे त्वचा रोगों से भ्रमित हैं और इसका स्टेरॉयड के साथ इलाज किया जाता है। ऐप से फफुंदीय संक्रमण से निपटने में मदद मिलने की संभावना है। अभी ‘डर्म एड’ 50 से अधिक त्वचा रोगों की पहचान कर सकता है जो डॉक्टरों द्वारा पहचान किए जाने वाले सबसे आम मामले हैं।

इस साल के अंत तक यह संख्या और बढ़ेगी। डॉक्टर गुप्ता ने कहा कि ऐप कई बीमारियों को लगभग 80 प्रतिशत सटीकता के साथ बता सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमान के अनुसार, भारत में केवल 12.5 लाख एलोपैथिक चिकित्सक हैं, जिनमें से केवल 3.71 लाख विशेषज्ञ या स्नातकोत्तर हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में स्वाभाविक है कि भारत में त्वचा रोग विशेषज्ञों की कुल संख्या कम ही होगी।

उन्होंने कहा "ऐप ग्रामीण भारत में, जहां सामान्य चिकित्सक आसानी से उपलब्ध नहीं हैं और स्वास्थ्य कार्यकर्ता तत्काल जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, कारगर साबित हो सकता है। इसके द्वारा मुंह के कैंसर की जांच की जा सकती है।