सर्दी नहीं करती आपकी सेहत को सूट तो इन 5 चीज़ों का करें सेवन By ललित कुमार | Published: November 8, 2018 03:52 PM 2018-11-08T15:52:24+5:30 2018-11-08T15:54:58+5:30
Next Next सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को पौष्टिक आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है। एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है। ऑस्ट्रेलिया में ला ट्रोब विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किये गये क्लीनिकल ट्रायल में यह पता चला कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब छह महीने तक वसा युक्त (फैटी एसिड वाला) मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार देखा गया। मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स होते हैं जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं।
अदरक में ऐसे कई तत्व होते हैं जो गले और सांस की समस्या से हमारा बचाव करते हैं। यह तत्व सांस लेना आसान बनाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अदरक का सेवन यदि सीधे ही या फिर चाय में या इसे जूस के रूप में भी लिया जाए, तो ये सांस में जकड़न जैसी परेशानी को कम करने में मदद करता है।
अपनी डाइट में वसाका नामक जड़ी शामिल करें। वसाका, जिसे मालाबार नट भी कहते हैं, ब्रीदिंग में राहत देती है और सांस लेने के रास्ते को भी खोलती है। इसके प्रयोग से सीने की जकड़न में राहत मिलती है और बलगम का बाहर निकलना आसान हो जाता है। यह खांसी कंट्रोल में भी मददगार है। यह हमारे लंग्स की कार्य करने की क्षमता को बढ़ाती है। सुझाव दिया जाता है कि वसाका का सेवन बाजार में उपलब्ध जूस, सीरप व कैप्सूल के रूप में किया जाना चाहिए।
अजवायन पत्ती में वे सभी विटामिन होते हैं जो हमारी इम्यूनिटी के लिए लाभकारी हैं और हेल्थ को बढ़ाने में मददगार हैं। अजवायन पत्ती में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं तथा इसमें लंग्स की सफाई करने वाले ऐसे अन्य तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं जो अस्थमा एवं खांसी जैसे रोगों के उपचार में हेल्प करते हैं।
लहसुन को अपने एन्टीवायरस गुणों के लिए जाना जाता है जो इसके औषधीय मूल्यों को बढ़ाते हैं। इससे ऐसे इन्फेक्शन को रोकने में हेल्प मिलती है जो संभावित रूप से अस्थमा का कारण बन सकते हैं। आप लहसुन की कली को सीधे खा सकते हैं या फिर बाजार में उपलब्ध कैप्सूल के रूप में भी इसका सेवन कर सकते हैं।