Om Puri Birth Anniversary: ओम पुरी की जयंती पर पढ़ें उनके 10 दमदार डायलॉग

By संदीप दाहिमा | Published: October 18, 2019 07:24 AM2019-10-18T07:24:16+5:302019-10-18T07:24:16+5:30

Next

जिस दिन पुलिस की वर्दी का साथ पकड़ा... उस दिन डर का साथ छोड़ दिया.

मजहब इंसानों के लिए बनता है... मजहब के लिए इंसान नहीं बनते.

जंग कोई भी हो, नतीजा कुछ भी हो...एक सिपाही अपना कुछ ना कुछ खो ही देता है.

हर इंसान को जिंदगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए...प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है।

जब एक भ्रष्ट आदमी मरता है तो उसकी सत्ता खत्म होती है...और जब एक सच्चा आदमी मरता है तो उसकी सत्ता शुरू होती है.

मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता...जो गरीबों की इज्जत करना नहीं जानता.

मेरा फरमान आज भी इस शहर का कानून है. मैं जब भी करता हूं, इंसाफ ही करता हूं.

जैसे ही मैंने उसकी कनपटी पर यह गनपट्टी रखी...उसका चेहरा बिना दूध की चाय जैसा पड़ गया. मरने से पहले मेरे बाल डाई करा देना, मैं जवान होकर मरना चाहता हूं.

परंपराओं की लकीरें जब धुंधली पड़ जाती हैं...तो नई लकीरें खींचने से परहेज नहीं करना चाहिए.

द्रोपदी तेरे अकेले की नहीं है...हम सब शेयरहोल्डर हैं.