FD पर मिले ब्याज पर काटता है TDS, यहां समझें बचाने का तरीका
By स्वाति सिंह | Published: December 15, 2019 12:56 PM2019-12-15T12:56:03+5:302019-12-15T12:56:03+5:30
अगर आप टीडीएस से बचना चाहते हैं तो फॉर्म 15G और 15H जमा करा सकते हैं और टीडीएस देने से बच सकते हैं। हालांकि, गलत डिक्लेयरेशन पर आपको 10 हजार रुपये की पेनल्टी देनी पड़ सकती है।
अगर आपको बैंक से सालाना 10 हजार रुपए से अधिक ब्याज मिल रहा है तो क्या आप जानते हैं कि बैंक फिक्स डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट पर टीडीएस (टैक्स डिजेक्टिड एट सोर्स) की कटौती करता है। चाहे फिर आपकी मूल कमाई छूट सीमा से कम भी हो। दरअसल, बैंक 10 हजार से अधिक ब्याज पाने वाले ग्राहकों से 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटता है। हालांकि, इस मामले में नरेंद्र मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को थोड़ी राहत जरूर दी है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए अब तक 10,000 रुपये की सीमा बढ़ाकर 50,000 की गई है, जबकि 60 साल से कम व्यक्तिगत करदाताओं के लिए यह सीमा एक समान है।
वहीं, अगर आप टीडीएस से बचना चाहते हैं तो फॉर्म 15G और 15H जमा करा सकते हैं और टीडीएस देने से बच सकते हैं। हालांकि, गलत डिक्लेयरेशन पर आपको 10 हजार रुपये की पेनल्टी देनी पड़ सकती है। दो बैंकों या बैंक ब्रांचेज में रकम जमा कर उसे कम दिखाने से काम नहीं बनेगा क्योंकि पैन तो एक ही होगा।
आपको बता दें कि फार्म 15G और फॉर्म 15H एक ऐसा फार्म है जो आप अपने बैंक में जमा करा सकते हैं। इन फॉर्म के जरिए दावा किया जाता है कि आपके द्वारा की गई कमाई पर कोई भी कर नहीं बनता है, जिसके चलते आपकी आय से टीडीएस की कटौती नहीं जाती है।
अगर फॉर्म 15G की शर्तों की बात करें तो 60 साल से कम उम्र के ग्राहक इस फॉर्म को देने के लिए पात्र माने जाते हैं। इसके अलावा एक भारतीय निवासी, स्थायी खाता संख्या (पैन), कुल आय पर टैक्स शून्य, फिक्स्ड डिपॉजिट पर कुल ब्याज आय मूल छूट सीमा से कम होनी चाहिए। वहीं, 15H फॉर्म 60 साल से अधिक आयु वाले लोग जमा करा सकते हैं। इसके वह सब कुछ करना पड़ता है जो फॉर्म 15G में उपरोक्त दी गई जानकारी में बताया गया है।