SBI ग्राहकों के लिए आज से बदल गई ब्याज दरें, यहां जानें लेटेस्ट रेट
By स्वाति सिंह | Published: February 10, 2020 01:03 PM2020-02-10T13:03:30+5:302020-02-10T13:03:30+5:30
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथावत रखा। लगातार दूसरी बैठक में रेपो दर को स्थिर रखा गया है।
देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है। आज (10 जनवरी) से एसबीआई ने कुछ-कुछ अवधि की FD की दरों में 0.15 प्रतिशत की कमी की है। दो करोड़ रुपये से कम की दीर्घकालिक जमाओं पर ब्याज दर घटाई गयी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की वेबसाइट के अनुसार बैंक ने एक साल से 10 साल की अवधि के FD पर ब्याज दर 6.25 प्रतिशत से कम कर 6.10 प्रतिशत कर दिया है।
सात दिन से लेकर 45 दिनों और 46 दिनों से 179 दिनों की अवधि की FD पर बैंक क्रमश: 4.50 प्रतिशत और 5.50 प्रतिशत ब्याज देगा। वहीं 180 दिन से एक साल की कम अवधि की FD पर ब्याज 5.80 प्रतिशत होगा। बैंक वरिष्ठ नागरिकों को 0.50 प्रतिशत अधिक ब्याज देता है। इस हिसाब से उनके लिए एक साल से 10 साल की अवधि की FD राशि पर ब्याज 6.60 प्रतिशत होगा।
बता दें कि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर को 5.15 प्रतिशत पर यथावत रखा। लगातार दूसरी बैठक में रेपो दर को स्थिर रखा गया है। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि जब तक संभव है, वह नीतिगत रुख को उदार बनाये रखेगा।
रिजर्व बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में पांच प्रतिशत रहने के अनुमान को बनाये रखा। उसने कहा कि आर्थिक वृद्धि 2020-21 में सुधरकर छह प्रतिशत हो सकती है। उसने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर अभी भी अपनी संभावित क्षमता से कम है। उसने कहा, ‘‘आर्थिक गतिविधियां नरम बनी हुई हैं। जिन चुनिंदा संकेतकों में हालिया समय में सुधार देखने को मिला है, व्यापक स्तर पर इनमें भी अभी तेजी आनी शेष है।
वृद्धि दर की तुलना में मुद्रास्फीति की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए मौद्रिक नीति समिति को लगता है कि स्थिति को यथावत रखा जाना चाहिये।’’ उसने कहा कि निकट भविष्य में मुद्रास्फीति के उच्च बने रहने की आशंका है। उसने मुद्रास्फीति के परिदृश्य को बेहद अनिश्चित बताया। रिजर्व बैंक ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर यथावत रखने का पक्ष लिया। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने फरवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के दौरान रेपो दर में 1.35 प्रतिशत की कटौती की थी।