सरकार ने EPF अंशदान में तीन महीनों के लिए कटौती लागू की, कर्मचारियों को मिलेगी ज्यादा सैलरी
By भाषा | Published: May 19, 2020 12:26 PM2020-05-19T12:26:31+5:302020-05-19T12:36:29+5:30
सरकार ने संस्थानों और कर्मचारियों के लिए अगले तीन महीने तक ईपीएफ योगदान को 12-12 फीसदी से घटाकर 10-10 फीसदी कर दिया है. इससे कर्मचारियों की घर ले जाने वाली सैलरी बढ़ेगी.
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) अंशदान को जुलाई तक तीन महीनों के लिए मौजूदा 12 फीसदी से घटाकर 10 प्रतिशत करने के निर्णय को लागू कर दिया है। इस फैसले से संगठित क्षेत्र के 4.3 करोड़ कर्मचारी घर अधिक वेतन ले जा सकेंगे और कोरोना वायरस महामारी के चलते नकदी संकट से जूझ रहे नियोक्ताओं को कुछ राहत मिलेगी।
अनुमान है कि इस निर्णय से अगले तीन महीनों में 6,750 करोड़ रुपये की नकदी बढ़ेगी। श्रम मंत्रालय ने सोमवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि ईपीएफ योगदान में कमी मई, जून और जुलाई, 2020 के महीनों के लिए लागू होगी। ऐसे में जून, जुलाई और अगस्त में मिलने वाला वेतन अधिक होगा और नियोजकों के योगदान में भी कमी आएगी। इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी।
12 लाख सदस्यों ने ईपीएफओ से 3,360 करोड़ रुपये निकाले
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करीब 12 लाख सदस्यों ने लॉकडाउन के दौरान 3,360 करोड़ रुपये की निकासी की है। ईपीएफओ ने 28 मार्च को कर्मचारियों को राष्ट्रव्यापी पाबंदी की वजह से पैदा हुई दिक्कतों के मद्देननजर ईपीएफओ से अग्रिम निकालने की अनुमति दी थी। श्रमिकों को यह राशि वापस जमा नहीं करानी होगी।
भविष्य निधि भुगतान में देरी के लिये कंपनियों से नहीं लिया जायेगा जुर्माना
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने लॉकडाउन के दौरान भविष्य निधि अंशदान समय पर जमा नहीं करा पाने पर कंपनियों से कोई जुर्माना नहीं लेने का फैसला किया है। सरकार ने देश में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया है। इसके कारण कंपनियों को नकदी की दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है और उन्हें भविष्य निधि कोष में किये जाने वाले जरूरी भुगतान में भी समस्याएं आ रही हैं।