आज से सस्ते में सोना खरीदने का सुनहरा मौका, जानें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के 5 फायदे
By निखिल वर्मा | Published: July 6, 2020 08:59 AM2020-07-06T08:59:13+5:302020-07-06T08:59:13+5:30
मोदी सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत साल 2015 में की थी. इस स्कीम से सरकार सोने के फिजिकल डिमांड में कमी लाना चाहती थी.
आज से आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश कर सकते हैं। इस साल मोदी सरकार ने चौथी बार गोल्ड बॉन्ड जारी किए हैं। इससे पहले सरकार अप्रैल, मई, जून में गोल्ड बॉन्ड जारी कर चुकी है। कोरोना महामारी संकट के बीच सोने में निवेश बेहत अच्छा निर्णय साबित हुआ है। इस साल सोने में निवेश 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दे चुका है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी सीरिज सब्सक्रिप्शन खुल चुकी है। इस बार आरबीआई ने सोने की इश्यू प्राइस 4852 रुपये प्रति ग्राम तय की है। आप 10 जुलाई तक चौथी सीरिज के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में निवेश के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वालों और ऑनलाइन भुगतान करने वालों को प्रति ग्राम 50 रुपये के हिसाब से छूट मिलेगी। इस समय सोने की मांग बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के 5 फायदे:
1. सोने शुद्धता की चिंता नहीं: भारत सरकार की ओर से आरबीआई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। गोल्ड बॉन्ड की कीमत 999 शुद्धता यानी 24 कैरेट सोने के दाम से लिंक होता है। इसलिए आपको सोने की गुणवत्ता को लेकर किसी तर ही की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
2. सुरक्षा की चिंता नहीं और बचत भी: अगर आप घर में सोना रखते हैं तो हर समय आपको उसकी चिंता हो सकती है। इसके अलावा बैंक लॉकर में सोना रखने पर लॉकर शुल्क अलग से देना पड़ता है। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश पर आपको इन दोनों पहलूओं पर चिंता करने की जरूरत नहीं है।
3. बेचने पर नहीं कटेंगे पैसे: अगर आप फिजिकल सोना बेचने जाते हैं तो मेकिंग चार्जेज सहित कुछ पैसे कट जाते हैं। वहीं सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में आप अगर मेच्योरिटी पर सोने को भुनाते हैं तो आपको उस समय के बाजार के हिसाब से पैसे मिल जाते हैं। कोई शुल्क नहीं कटता।
4. गोल्ड बॉन्ड पर ब्याज: भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट के अनुसार, गोल्ड बॉन्ड खरीदने पर आपको 2.5 फीसदी की निर्धारित सालाना दर से ब्याज मिलता है। हर छह महीने पर इसका ब्याज आपके बैंक खाते में जुड़ता रहता है। मेच्योरिटी के समय ब्याज की राशि मूलधन के साथ जोड़कर दी जाती है।
5. टैक्स की चिंता नहींः इस स्कीम को मेच्योरिटी तक होल्ड करने के बाद इसे बेचने पर मिलने वाली राशि पर किसी तरह का टैक्स नहीं देना होता है।