वित्त वर्ष 2018-19ः आयकर रिटर्न, अंतिम तिथि 30 नवंबर, कोरोना वायरस संकट के चलते करदाताओं को दिक्कत
By भाषा | Published: September 30, 2020 06:46 PM2020-09-30T18:46:07+5:302020-09-30T18:46:07+5:30
कोविड-19 संकट के चलते वित्त वर्ष 2018-19 का आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए सरकार की ओर से यह चौथी बार समयसीमा बढ़ायी गयी है। इससे पहले मार्च में सरकार ने अंतिम तारीख को 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 30 जून 2020 किया था।
नई दिल्लीः आयकर विभाग ने 2018-19 के आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख दो महीने बढ़ाकर बुधवार को 30 नवंबर कर दी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक आदेश में कहा कि कोरोना वायरस संकट के चलते करदाताओं को पेश आ रही परेशानियों को देखते हुए यह निर्णय किया गया है।
आकलन वर्ष 2019-20 के लिए देरी से या संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल करने की तारीख 30 सितंबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गयी है। कोविड-19 संकट के चलते वित्त वर्ष 2018-19 का आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए सरकार की ओर से यह चौथी बार समयसीमा बढ़ायी गयी है। इससे पहले मार्च में सरकार ने अंतिम तारीख को 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 30 जून 2020 किया था।
बाद में इसे 31 जुलाई 2020 तक और फिर 30 सितंबर 2020 तक बढ़़ाया गया। नांगिया एंड कंपनी एलएलपी में पार्टनर शैलेष कुमार ने कहा कि समयसीमा में विस्तार से आयकर विभाग को भी करदाताओं को जागरूक करने के अपने अभियान को आक्रामकता के साथ आगे बढ़ाने के लिए और वक्त मिल जाएगा। हाल में आयकर विभाग ने करदाताओं को आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए एसएमएस भेजना शुरू किया है।
आयकर विभाग ने एक अक्ट्रबर से टीसीएस प्रावधान लागू करने को लेकर दिशानिर्देश जारी किये
आयकर विभाग ने स्रोत पर कर वसूली (टीसीएस) प्रावधान के लागू होने को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिये। इसके तहत ई- वाणिज्य आपरेटर को एक अक्ट्रबर से माल एवं सेवाओं की बिक्री पर एक प्रतिशत की दर से कर लेना है। वित्त अधिनियम 2020 में आयकर कानून 1961 में एक नई धारा 194-ओ जोड़ी गई है। इसके तहत ई- कामर्स आपरेटर को यह अधिकार दिया गया है कि एक अक्ट्रबर 2020 से उसके डिजिटल अथवा इलेक्ट्रानिक सुविधा अथवा प्लेटफार्म के जरिये होने वाले माल अथवा सेवा अथवा दोनों के कुल मूल्य पर एक प्रतिशत की दर से आयकर लेना होगा।
वित्त अधिनियम 2020 में आयकर कानून की धारा 206सी में एक उप-धारा (1 एच) भी जोड़ी गई है। इसके तहत यदि बिक्री का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक है अथवा पिछले साल के दौरान सकल बिक्री मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक था उसमें विक्रेता को खरीदार से 0.1 प्रतिशत की दर से कर वसूलना होगा। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि उसे इस सबंध में ज्ञापन प्राप्त हुये थे कि कुछ एक्सचेंजों और क्लियरिंग कार्पोरेशन के स्तर पर स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) और स्रोत पर कर वसूली (टीसीएस) के प्रावधानों को अमल में लाने में परेशानी हो रही थी।
यह बताया गया कि कई बार इस तरह के सौदों में खरीदार और विक्रेता के बीच सीधे संपर्क नहीं होता है। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया है कि टीसीएस का नया प्रावधान जो लागू किया गया है वह मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों में होने वाले जिंस अथवा प्रतिभूतियों के सौदों पर लागू नहीं होगा। यह प्रावधान बिजली, नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्रों और ऊर्जा बचत प्रमाणपत्रों के लेनदेन पर भी लागू नहीं होगा।