बज़ट 2019: मोदी सरकार वित्त वर्ष में कर सकती है ऐतिहासिक बदलाव, आपकी टैक्स प्लानिंग, ITR फाइलिंग पर पड़ेगा ये असर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 23, 2019 10:33 AM2019-01-23T10:33:30+5:302019-01-23T10:36:31+5:30
हर साल 1 अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक की 12 महीने की अवधि वित्त वर्ष कही जाती है। बजट प्रक्रि या पूरी करने में दो महीने का समय लगता है। बदलाव के कारण बजट सत्र की संभावित तारीख नवंबर का पहला सप्ताह हो सकती है।
इस वर्ष अप्रैल-मार्च की वित्त वर्ष की परंपरा बदल सकती है। सरकार इस बजट में इसे जनवरी-दिसंबर करने की घोषणा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मुख्यमंत्रियों की बैठक में वित्त वर्ष में बदलाव की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि एक तेजतर्रार व्यवस्था विकिसत करने की जरूरत है, जो विविधता के बीच काम कर सके।
इस बदलाव के कारण केंद्र सरकार को बजट नवंबर में पेश करना होगा। हालांकि इससे आम आदमी की जिंदगी पर बहुत ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन टैक्स प्लानिंग, टैक्स फाइलिंग, कंपनियों के तिमाही नतीजे और शेयर बाजार में पश्चिमी देशों जैसा चलन दिखेगा। हालांकि मध्य प्रदेश वित्त वर्ष को जनवरी-दिसंबर करने की घोषणा करने वाला पहला राज्य है।
वित्त वर्ष वित्तीय मामलों में हिसाब के लिए आधार होता है। हर साल 1 अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक की 12 महीने की अवधि वित्त वर्ष कही जाती है। बजट प्रक्रि या पूरी करने में दो महीने का समय लगता है। बदलाव के कारण बजट सत्र की संभावित तारीख नवंबर का पहला सप्ताह हो सकती है।
सरकार ने दो साल पहले वित्त वर्ष की शुरुआत 1 जनवरी से करने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 1867 में अपनाई गई थी मौजूदा व्यवस्था भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के वित्त वर्ष की व्यवस्था 1867 में अपनाई गई थी। इसका मकसद भारतीय वित्त वर्ष का ब्रिटिश सरकार के वित्त वर्ष से तालमेल बिठाना था। उससे पहले तक देश में वित्त वर्ष 1 मई से 30 अप्रैल तक होता था।
नीति आयोग ने भी वित्त वर्ष में बदलाव पर जोर दिया था। उसकी दलील थी कि मौजूदा प्रणाली में कामकाज के सत्र का उपयोग नहीं हो पाता। संसद की वित्त पर स्थाई समिति ने भी वित्त वर्ष जनवरी-दिसंबर करने की सिफारिश की थी।