1 अप्रैल से घर खरीदना होगा सस्ता, GST काउंसिल ने नए टैक्स स्लैब को दी मंजूरी
By स्वाति सिंह | Published: March 20, 2019 08:40 AM2019-03-20T08:40:42+5:302019-03-20T08:40:42+5:30
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली ताकतवर जीएसटी परिषद की मंगलवार को हुई 34वीं बैठक में रीयल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए निर्माणाधीन आवास परियोजनाओं के मकानों पर नये कर ढांचे को लागू करने की योजना के सिलसिले में नियमों को मंजूरी दी गई।
माल एवं सेवाकर परिषद (जीएसटी) ने निर्माणाधीन मौजूदा आवासीय परियोजनाओं के मामले में इनपुट टैक्स क्रेडिट के मुद्दे का समाधान करते हुये बिल्डरों को ऐसी परियोजनाओं को लेकर पुरानी और नई कर दरों में से किसी एक को चुनने का विकल्प दे दिया। पहली अप्रैल से शुरू होने वाली परियोजनाओं की इकाइयों पर नया कर ढांचा ही लागू होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली ताकतवर जीएसटी परिषद की मंगलवार को हुई 34वीं बैठक में रीयल एस्टेट क्षेत्र की मदद के लिए निर्माणाधीन आवास परियोजनाओं के मकानों पर नये कर ढांचे को लागू करने की योजना के सिलसिले में नियमों को मंजूरी दी गई।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव ए बी पांडे ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि बिल्डरों को मौजूदा निर्माणाधीन आवासीय परियोजनाओं के मामले में पुरानी दर से कर देने का एकबारगी विकल्प दिया जायेगा। ऐसी परियोजनाओं के लिये इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ आठ प्रतिशत और 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान किया जा सकेगा। इनमें उन परियोजनाओं को शामिल किया गया है जहां निर्माण कार्य और वास्तविक बुकिंग का काम एक अप्रैल 2019 से पहले शुरू हो चुका है और जो परियोजनायें 31 मार्च 2019 से पहले पूरी नहीं हो पायेंगी।
रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिये बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के नई दरें एक अप्रैल 2019 से लागू होगी। एक अप्रैल के बाद शुरू होने वाली परियोजनाओं में अनिवार्य रूप से नई दरें ही लागू होंगी। इनमें सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिये एक प्रतिशत और अन्य आवासीय परियोजनाओं के लिये पांच प्रतिशत की जीएसटी दर रखी गई है। इन दरों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा। जीएसटी परिषद ने 24 फरवरी की पिछली बैठक में नई दरें तय की थी।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर के आवास विकास के कारोबार में लगी कंपनियों को नए कर ढांचे के अनुपालन के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। यह 15 दिन से लेकर एक महीने तक हो सकता है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वीडियो कांफ्रेंस से इस बैठक की अध्यक्षता की। इस परिषद में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं।
पांडे ने कहा कि इस निर्णय से बिल्डरों को अपने खाली पड़े बिना बिके मकानों की बिक्री तेज करने में मदद मिलेगी।
ईवाई इंडिया के पार्टनर, अभिषेक जैन ने कहा कि यह निर्णय इस क्षेत्र के लिए नए कर ढांच को अपनाने की दिशा एक बड़ी राहत है।
परिषद ने स्पष्ट किया है कि जिन परियोजनाओं में 15 प्रतिशत तक वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये स्थान होगा उन्हें आवासीय संपत्ति माना जायेगा। इससे क्लब, रेस्त्रां तथा अन्य व्यावसायिक सुविधाओं वाली परियोजनाओं से जुड़े मुद्दे स्पष्ट हो जायेंगे।
एक अन्य शर्त भी रखी गई है कि डेवलपर्स को 80 प्रतिशत खरीदारी पंजीकृत डीलरों से करनी होगी ताकि उन्हें कंपोजीशन योजना का लाभ मिल सके। इन शर्तों के साथ ही नई एक प्रतिशत और पांच प्रतिशत जीएसटी दर की व्यवस्था लागू होगी। खरीदारी में इन नियमों के अनुपालन में किसी तरह की कमी होने पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया जायेगा। जीएसटी में पंजीकरण नहीं रखने वाले डीलरों से सीमेंट खरीदारी करने पर 28 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाया जायेगा।
परिषद ने इनपुट टैक्स क्रेडिट की गणना के लिये फार्मूले को भी मंजूरी दे दी।
जीएसटी परिषद की अगली बैठक के बारे में पूछे जाने पर पांडे ने कहा कि अब नहीं लगता कि चुनाव सम्पन्न होने से पहले कोई बैठक बुलाई जाए पर यदि कोई जरूरत पड़ी तो चुनाव आयोग से अनुमति ले कर बैठक बुलाई भी जा सकती है।
(भाषा इनपुट के साथ)