महाराष्ट्र के राहुल अवारे ने कभी बना लिया था कुश्ती छोड़ने का मन, अब वर्ल्ड रेसलिंग में मेडल जीत देश का नाम किया रौशन

By सुमित राय | Published: September 23, 2019 08:31 AM2019-09-23T08:31:58+5:302019-09-23T08:31:58+5:30

राहुल ने भले ही अब वर्ल्ड रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया हो, लेकिन साल 2016 में उन्होंने निराश होकर इस खेल को छोड़ने का मन बना लिया था।

World Wrestling Championships: Rahul Aware bags bronze, Know his success story | महाराष्ट्र के राहुल अवारे ने कभी बना लिया था कुश्ती छोड़ने का मन, अब वर्ल्ड रेसलिंग में मेडल जीत देश का नाम किया रौशन

महाराष्ट्र के राहुल अवारे ने वर्ल्ड रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है।

Highlightsविश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत के राहुल बालासाहेब अवारे ने 61 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता।महाराष्ट्र के बीड़ जिले के रहने वाले राहुल ने कांस्य पदक मुकाबले में अमेरिका के टेलर ली ग्राफ को 11-4 से शिकस्त दी।

विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारत के राहुल बालासाहेब अवारे ने 61 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रौशन किया। राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता राहुल ने कांस्य पदक मुकाबले में अमेरिका के टेलर ली ग्राफ को 11-4 से शिकस्त दी। कांस्य पदक जीतने के बावजूद राहुल टोक्यो ओलंपिक-2020 में खेलने नहीं जा पाएंगे, क्योंकि राहुल का 61 किग्रा भार वर्ग ओलंपिक कोटा नहीं है।

कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता था गोल्ड मेडल

महाराष्ट्र के बीड़ जिले के रहने वाले राहुल अवारे ने साल 2018 में गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में 57 किलोग्राम भार वर्ग कनाडा के स्टीवन ताकाशाही को 15-7 से हराकर गोल्ड मेडल जीता था। राहुल ने फाइनल मुकाबले के पहले ही मिनट में ही अच्छा प्रदर्शन करते हुए ताकाहाशी को पटककर दो अंक हासिल कर लिए थे। हालांकि, अगले ही पल राहुल को संभलने का मौका नहीं देते हुए कनाडा के पहलवान ने पलटते हुए चार अंक ले लिया। इसके बाद राहुल ने भी दबाव बनाया और उन्हें रोल करते हुए छह अंक ले लिए। कनाडा के पहलवान ने भी हार नहीं मानी और राहुल को अच्छी टक्कर देते हुए दो अंक लिए और 6-6 से बराबरी कर ली।

दर्द को नजरअंदाज करते हुए जीता गोल्ड

राहुल ने भी अपनी तकनीक को अपनाते हुए एक बार फिर ताकाहाशी को पकड़ा और फिर रोल करते हुए तीन और अंक हासिल करते हुए 9-6 से बढ़त ले ली। यहां राहुल को दर्द की समस्या हुई, लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए उन्होंने वापसी की और दो अंक और हासिल किए। मुकाबले के आखिरी के कुछ सेकेंड रह गए थे और एक बार फिर राहुल ने ताकाहाशी पर शिकंजा कस 15-7 से जीत हासिल कर गोल्ड मेडल पर कब्जा कर लिया।

बना लिया था रेसलिंग छोड़ने का मन

राहुल ने भले ही साल 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड अपने नाम किया था, लेकिन साल 2016 में जब रियो ओलिंपिक के लिए टीम में नहीं चुने जाने के बाद निराश होकर इस खेल को छोड़ने का मन बना लिया था। राहुल ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'समय किसी के लिए नहीं रुकता, मेरी उम्र बढ़ रही थी और मैं कुछ महत्वूपर्ण टूर्नामेंट में नहीं खेल रहा था और मैं ओलिंपिक गेम्स में भी नहीं खेल सका।'

राहुल ने बताया था, 'मैंने फैसला किया था कि अगर मैं 2016 ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ करता हूं तो ठीक, वर्ना खेल से संन्यास ले लूंगा। कुश्ती ऐसा खेल है जिसे अधिकतम उम्र 30 साल तक ही खेला जा सकता है। एक साल बाद 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स के ट्रायल हुए जो चुनौतीपूर्ण थे, लेकिन मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया और मैं चुन लिया गया।'

अतंरराष्ट्रीय स्तर पर जीत चुके हैं कई मेडल

2018 के कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल राहुल का पहला कॉमनवेल्थ मेडल था, लेकिन वो अतंरराष्ट्रीय स्तर पर अपने होने का अहसास दुनिया को पहले भी करा चुके थे। राहुल ने मेलबर्न कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में 57 किलो में गोल्ड मेडल जीता था। इसके अलवा एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में के  57 किलों में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिला चुके हैं।

राहुल के पिता भी हैं पहलवान

राहुल अवारे के पिता बालासाहेब खुद भी एक पहलवान ही हैं। वह लगभग 40 लोगों को अपने ट्रेनिंग सेंटर में मुफ्त में पहलवानी सिखाते हैं। इस ट्रेनिंग सेंटर का नाम जय हनुमान व्यायामशाला है, जो महाराष्ट्र के बीड़ जिले के पटोदा में बनी है।

Web Title: World Wrestling Championships: Rahul Aware bags bronze, Know his success story

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