टोक्यो पैरालंपिक: नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने रचा इतिहास, सिल्वर जीता, पदक जीतने वाले पहले आईएएस

By सतीश कुमार सिंह | Published: September 5, 2021 07:53 AM2021-09-05T07:53:02+5:302021-09-05T13:10:52+5:30

Tokyo Paralympics: टोक्यो पैरालंपिक खेलों के बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में पहुंच कर ऐतिहासिक कारनामा करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी सुहास एल. यथिराज ने इतिहास बना दिया।

Tokyo Paralympics Badminton Men's Singles SL4 Noida DM Suhas L Yathiraj loses to France's Lucas Mazur bags silver | टोक्यो पैरालंपिक: नोएडा के डीएम सुहास एलवाई ने रचा इतिहास, सिल्वर जीता, पदक जीतने वाले पहले आईएएस

कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है।

Highlightsसुहास एसएल4 श्रेणी में फिलहाल विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर है। सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने से पहले यहां ग्रुप चरण तीन मैच खेले हैं।ग्रुप चरण के एक मुकाबले को छोड़कर अब तक खेले तीनों मैचों में उनका प्रदर्शन दबदबा वाला रहा है।

Tokyo Paralympics: नोएडा के डीएम सुहास एल. यथिराज फ्रांस के लुकास मजूर से हार गए। सुहास ने रजत पदक जीता। टोक्यो पैरालंपिक खेलों के बैडमिंटन स्पर्धा के फाइनल में पहुंच कर ऐतिहासिक कारनामा करने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी सुहास एल. यथिराज ने इतिहास बना दिया।

रजत पदक के साथ गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के 38 वर्षीय जिलाधिकारी (डीएम) पैरालम्पिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी के रूप में इतिहास बना दिया। सुहास एसएल4 श्रेणी में फिलहाल विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान पर है। उन्होंने शनिवार को सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने से पहले यहां ग्रुप चरण तीन मैच खेले थे।

पहले दो मैचों को 20 मिनट से भी कम समय में अपने नाम करने वाले सुहास ने सेमीफाइनल में  इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 31 मिनट में 21-9, 21-15 से हराया। कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है। कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और 2007 बैच के आईएसएस अधिकारी भी।

वह 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुवाई कर चुके हैं। सेवारत और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों के समूह आईएएस संघ ने ट्वीट किया, ‘‘ इतिहास बन रहा है। सुहास एल वाई (आईएएस, डीएम जीबी नगर (नोएडा), उत्तर प्रदेश, भारत) पुरुष एकल पैरा-बैडमिंटन एसएल4 वर्ग के फाइनल में। उन्होंने सेमीफाइनल में इंडोनेशिया के एस फ्रेडी को 2-0 से हराया।’’ उनके फाइनल में पहुंचने के साथ ही सोशल मीडिया पर #चीयर4सुहास ‘ट्रेंड’ करने लगा था।

नोएडा के कई निवासियों के व्हाट्सएप ग्रुप भी उनके डीएम के खेल की उपलब्धि पर बधाई संदेशों से भरे हुए हैं। एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त लेने वाले सुहास इससे पहले प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र जिलों के जिलाधिकारी रह चुके है। अगस्त के अंतिम सप्ताह में टोक्यो जाने से पहले, जब सुहास से उनके बैडमिंटन अभ्यास और डीएम के रूप में काम के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैं दिन के सभी काम खत्म होने के बाद रात 10 बजे से दो घंटे तक अभ्यास करता हूं। मैं लगभग छह वर्षों से इस तरह से अपने खेल और प्रशासनिक कर्तव्यों का प्रबंधन कर रहा हूं।”

सुहास ने बताया कि उनकी पेशेवर यात्रा 2016 में शुरू हुई जब वह पूर्वी यूपी के आजमगढ़ जिले के डीएम थे और वहां एक बैडमिंटन चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि, ‘‘ मैं टूर्नामेंट के उद्घाटन में अतिथि था और भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। तब तक यह मेरे लिए एक शौक था क्योंकि मैं बचपन से बैडमिंटन खेल रहा था। मुझे वहां खेलने का मौका मिला और मैंने राज्य स्तरीय खिलाड़ियों को हरा दिया।’’ उन्होंने कहा कि इस जगह पर देश की पैरा-बैडमिंटन टीम के वर्तमान कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और इसे पेशेवर के तौर पर अपनाने की सलाह दी।

इसी साल उन्होंने बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले गैर-रैंक वाले खिलाड़ी बन गए। उन्होंने 2017 और 2019 में बीडब्ल्यूएफ तुर्की पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में पुरूष एकल और युगल स्वर्ण जीता। उन्होंने ब्राजील में 2020 में स्वर्ण पदक जीता।

(इनपुट एजेंसी)

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