टोक्यो ओलंपिकः नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो में गोल्ड जीतकर रचा इतिहास, भारत का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक प्रदर्शन
By अभिषेक पारीक | Published: August 7, 2021 04:55 PM2021-08-07T16:55:35+5:302021-08-07T17:54:16+5:30
भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 100 साल का इंतजार खत्म हो गया है। भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास लिख दिया है।
भारत का एथलेटिक्स में ओलंपिक पदक जीतने का पिछले 100 साल का इंतजार खत्म हो गया है। भारत के नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो के फाइनल में गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास लिख दिया है। उन्होंने जैवलीन थ्रो के फाइनल के दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर जैवलीन थ्रो कर गोल्ड मैडल जीता। इसके साथ ही भारत ने भी ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। यह पहला मौका है जब भारत ने सात पदक अपने नाम किए हैं।
टोक्यो ओलंपिक में शनिवार को पुरुषों के भाला फेंक (जैवलिन थ्रो) के फाइनल में नीरज चोपड़ा ने धमाकेदार शुरुआत की। अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने 87.03 मीटर का थ्रो किया। इसके बाद दूसरे राउंड में उन्होंने 87.58 मीटर भाला फेंककर हर किसी को रोमांचित कर दिया। हालांकि तीसरे प्रयास में नीरज सिर्फ 76.79 मीटर ही भाला फेंक सके। चौथे और पांचवे प्रयास में नीरज नाकाम रहे।
इसके साथ ही वह व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड जीतने वाले अभिनव बिंद्रा के बाद दूसरे भारतीय भी बन गए हैं। 2008 में अभिनव बिंद्रा ने एयर राइफल स्पर्धा में भारत को गोल्ड दिलाया था। उन्होंने 11 अगस्त 2008 को बीजिंग ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। बिंद्रा पहले व्यक्ति थे जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में गोल्ड अपने नाम किया था।
नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शान के साथ फाइनल में जगह बनायी थी। भारत की तरफ से एंटवर्प ओलंपिक में पांच खिलाड़ियों ने भाग लिया था जिसमें तीन ट्रैक एवं फील्ड के एथलीट थे, लेकिन तब से लेकर अब तक कोई भी भारतीय एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पाया है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) अब भी नार्मन प्रिचार्ड के पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में जीते गये पदकों को भारत के नाम पर दर्ज करता है लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था।
नीरज चोपड़ा हरियाणा में पानीपत के करीब स्थित खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे हैं। मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमश 1964 और 1984 में मामूली अंतर से चूक गये थे। चोपड़ा ने बुधवार को क्वालीफाईंग दौर के बाद कहा था, ‘‘यह मेरे पहले ओलंपिक खेल है और मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं। अभ्यास के दौरान मेरा प्रदर्शन अच्छा नहीं था लेकिन क्वालीफाईंग में मेरा पहला थ्रो सही कोण से गया। यह शानदार थ्रो था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे थ्रो पर ध्यान देने की आवश्यकता है और अपना यही प्रदर्शन दोहराना होगा और इससे अधिक स्कोर बनाना होगा।’’ चोपड़ा ने इस साल 88.07 मीटर के प्रदर्शन के साथ ओलंपिक में पहुंचे हैं। क्वालीफाईंग में उन्होंने स्वर्ण पदक के दावेदार और 2017 के विश्व चैंपियन जर्मनी के योहानेस वेटर को भी पीछे छोड़ा था। अप्रैल और जून में 90 मीटर थ्रो करने वाले वेटर ने चोपड़ा के बाद दूसरे स्थान पर रहकर क्वालीफाई किया था। पदक के कुछ दावेदार क्वालीफाईंग में ही बाहर हो गये। इनमें पोलैंड के मार्सिन क्रूकोवस्की और 2012 के ओलंपिक चैंपियन और रियो 2016 के कांस्य पदक विजेता त्रिनिदाद एवं टोबैगो के केशोर्न वालकॉट भी शामिल हैं। इस सत्र में सर्वश्रेष्ठ पांच प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों में केवल चोपड़ा और वेटर ही फाइनल में पहुंचे हैं।