मुक्केबाजी विश्व चैंपियनशिप के बाद हो सकता है कोचिंग स्टाफ में बड़ा बदलाव
By भाषा | Published: September 14, 2021 05:12 PM2021-09-14T17:12:13+5:302021-09-14T17:12:13+5:30
(पूनम मेहरा)
नयी दिल्ली, 14 सितंबर विश्व चैंपियनशिप के बाद अगले तीन महीने में भारतीय मुक्केबाजी के कोचिंग स्टाफ में ‘पूरी तरह से बदलाव’ किया जा सकता है। राष्ट्रीय महासंघ के सूत्र ने यह जानकारी देते हुए खुलासा किया कि तोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाजों के प्रदर्शन से अधिकारी ‘संतुष्ट नहीं’ हैं।
विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि दो हाई परफोर्मेंस निदेशक सेंटियागो नीवा (पुरुषों के) और रफेल बर्गामस्को (महिलाओं के) के अलावा राष्ट्रीय मुख्य कोच सीए कटप्पा (पुरुष) और मोहम्मद अली कमर (महिला) इस समय गहन समीक्षा के दायरे में हैं।
जुलाई-अगस्त में हुए खेलों में भारत ने पांच पुरुष और चार महिला मुक्केबाजों के रूप में मुक्केबाजी में अपना अब तक का सबसे बड़ा दल उतारा था लेकिन इनमें से सिर्फ लवलीना बोरगोहेन ही कांस्य पदक के साथ पोडियम पर जगह बनाने में सफल रही।
यह नौ साल में ओलंपिक में मुक्केबाजी का पहला पदक था लेकिन खेलों के महाकुंभ से पहले मुक्केबाजों के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए उनसे अधिक पदक की उम्मीद थी।
एक शीर्ष सूत्र ने पीटीआई को कहा, ‘‘ओलंपिक में प्रदर्शन से (महासंघ में) कोई भी खुश नहीं है। इसलिए जैसा हमने वादा किया था, समीक्षा चल रही है और यह लंबी प्रक्रिया है जिसमें कुछ महीने लगेंगे। दो विश्व चैंपियनशिप तक कोई बदलाव नहीं होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या पता इसके बाद संपूर्ण बदलाव हो लेकिन हमें दो से तीन महीने तक इंतजार करना होगा।’’
पुरुष विश्व चैंपियनशिप का आयोजन सर्बिया में 26 अक्तूबर से किया जाएगा जबकि महिला टूर्नामेंट दिसंबर में होगा।
भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) ने नीवा और बर्गामस्को के कार्यकाल में तीन महीने का विस्तार किया है जिससे कि दो बड़ी प्रतियोगिताओं में निरंतरता बनी रहे। इन प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय चैंपियन देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। इन दोनों के अनुबंध तोक्यो ओलंपिक के बाद समाप्त होने थे।
पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप कर्नाटक के बेल्लारी में बुधवार से शुरू होगी जबकि महिला चैंपियनशिप अक्तूबर के मध्य में होगी।
बीएफआई के अध्यक्ष अजय सिंह ने खेलों के दौरान प्रदर्शन की समीक्षा का वादा किया था।
भारत का कोई पुरुष मुक्केबाज पदक दौर में नहीं पहुंच पाया था। सतीश कुमार (+91 किग्रा) तोक्यो में क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाले एकमात्र भारतीय पुरुष मुक्केबाज थे और चेहरे पर 13 टांकों के साथ अंतिम आठ मुकाबले में उतरने के लिए उनकी सराहना हुई थी।
सूत्र ने कहा, ‘‘काफी कुछ विश्व चैंपियनशिप पर निर्भर करेगा, देखते हैं वहां कैसा प्रदर्शन रहता है।’’
बीएफआई ने हालांकि कुछ संभावित उम्मीदवारों से मिलना शुरू कर दिया है और इसमें क्यूबा के बीआई फर्नांडिज भी शामिल हैं जिन्होंने एक दशक से अधिक समय तक भारतीय पुरुष टीम को कोचिंग दी और 2012 में द्रोणाचार्य पुरस्कार हासिल करने वाले पहले विदेशी कोच बने थे।
भारत ने 2008 बीजिंग खेलों में जब अपना पहला ओलंपिक पदक जीता तो फर्नांडिज के साथ अब सेवानिवृत्त हो चुके गुरबक्श सिंह संधू भारतीय मुक्केबाजों का मार्गदर्शन कर रहे थे।
मोहाली के पंजाब खेल विश्वविद्यालय में कोचिंग देने वाले 66 साल के गुरबक्श ने बताया, ‘‘महिला टीम के साथ भूमिका के लिए मेरी बीएफआई के साथ चर्चा हुई है और उन्होंने मुझे मेरी योजना सौंपने को कहा है। मैं अगले कुछ हफ्तों में ऐसा करूंगा।’’
स्वीडन के नीवा और इटली के बर्गामस्को अतीत में पद पर बरकरार रहने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं लेकिन उन्होंने स्वीकार किया है कि उन पर काफी दबाव है।
कटप्पा लंबे समय से राष्ट्रीय शिविर का हिस्सा रहे हैं। उन्हें 2018 में पुरुष मुख्य कोच बनाया गया जबकि अली कमर एक साल बाद महिला टीम से जुड़े।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।