राष्ट्रमंडल खेल का शानदार अंत करना चाहती हैं सीमा पूनिया, 11 साल की उम्र से खेल रहीं एथलेटिक्स

By भाषा | Published: March 21, 2018 05:00 PM2018-03-21T17:00:25+5:302018-03-21T17:00:25+5:30

सीमा ने सबसे पहले मेलबर्न 2006 में भाग लिया था, जहां उन्होंने रजत पदक जीता।

Seema eyes perfect end to Commonwealth Games career | राष्ट्रमंडल खेल का शानदार अंत करना चाहती हैं सीमा पूनिया, 11 साल की उम्र से खेल रहीं एथलेटिक्स

Seema eyes perfect end to Commonwealth Games career

नई दिल्ली, 21 मार्च। सीमा पूनिया भले ही पूर्व में डोपिंग के कारण चर्चा में रही हो, लेकिन अगले महीने होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में वह भारतीय एथलीटों में पदक की सर्वश्रेष्ठ दावेदार हैं और चक्का फेंक की यह खिलाड़ी भी। इन खेलों के अपने अभियान का शानदार अंत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। राष्ट्रमंडल खेलों के इतिहास में सीमा भारत की सबसे सफल एथलीट रही हैं। उन्होंने जब भी इन खेलों में हिस्सा लिया तब पदक जरूर जीता।

सीमा ने सबसे पहले मेलबर्न 2006 में भाग लिया था, जहां उन्होंने रजत पदक जीता। इसके बाद वह 2010 और 2014 में भी पोडियम तक पहुंची। अब वह 34 साल की हैं, लेकिन गोल्ड कोस्ट में होने वाले खेलों में पदक की प्रबल दावेदार हैं।

अपने दो साल के करियर में सीमा ने तीन ओलंपिक (2004, 2012 और 2016), एक एशियाई खेल (2014) और तीन राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लिया है। गोल्ड कोस्ट में वह आखिरी बार राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेंगी। उनकी निगाह 2020 ओलंपिक खेलों पर भी टिकी है।

अभी अमेरिका में अभ्यास कर रही सीमा ने कहा कि यह मेरे चौथे राष्ट्रमंडल खेल होंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि मैं गोल्ड कोस्ट में पदक जीत सकती हूं। मैं हालांकि यह नहीं कह सकती कि पदक का रंग क्या होगा।

उन्होंने कहा कि यह यात्रा लंबी रही है। मैं नहीं जानती कि मैं 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों तक खुद को फिट रख पाती हूं या नहीं, लेकिन मैं 2020 ओलंपिक खेलों तक बने रहना चाहती हूं। मैं अभी फिनिश नहीं हुई हूं।

हरियाणा के सोनीपत जिले के खेवड़ा गांव में जन्मीं सीमा ने 11 साल की उम्र से एथलेटिक्स में प्रवेश कर लिया था। उन्होंने 17 साल की उम्र में विश्व जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चक्का फेंक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन डोपिंग का दोषी पाए जाने के कारण उनका पदक छीन लिया गया था।

सीमा ने स्यूडोफेडरिन ली थी जिसे जुकाम के उपचार के लिये लिया जाता है। तब आईएएएफ के नियमों के अनुसार केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। इसके बाद उनका करियर उतार चढ़ाव वाला रहा। ओलंपिक 2012 और 2016 में वह क्वालीफिकेशन दौर में ही बाहर हो गयी जिसका उन्हें अब भी खेद है।

उन्होंने कहा कि मुझे अपने करियर को लेकर कोई विशेष खेद नहीं है लेकिन ओलंपिक में नाकामी मुझे अब भी कचोटती है। इसलिए मैं 2020 ओलंपिक में भाग लेकर वहां अच्छा प्रदर्शन करना चाहती हूं।स सीमा ने कहा कि इसके अलावा मैंने काफी कुछ हासिल किया। मैं सरकार से कुछ उम्मीद नहीं कर रही हूं। मैं टॉप कार्यक्रम में नहीं हूं और मुझे पुरस्कार से वंचित किया गया।

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