कॉमनवेल्थ गेम्स-2022 का बहिष्कार कर सकता है भारत, जानिए आखिर क्या है वजह
By भाषा | Published: July 28, 2019 03:23 PM2019-07-28T15:23:14+5:302019-07-28T15:23:14+5:30
खेल मंत्री किरण रिजिजू को लिखे पत्र में आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने इस प्रस्ताव पर बातचीत के लिए उनसे मुलाकात का समय मांगा है।
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय ओलंपिक संघ ने निशानेबाजी को बाहर किये जाने को लेकर 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव रखा और सरकार से मंजूरी मांगी है। खेल मंत्री किरण रिजिजू को लिखे पत्र में आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा ने इस प्रस्ताव पर बातचीत के लिए उनसे मुलाकात का समय मांगा है। इससे पहले आईओए ने राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की आमसभा से नाम वापिस ले लिया था जो सितंबर में रवांडा में होनी है। आईओए ने क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पद के लिए राजीव मेहता और खेल समिति के सदस्य के रूप में नामदेव शिरगांवकर के नाम भी वापिस ले लिए थे।
2022 खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव रखते हुए बत्रा ने ‘भारत विरोधी मानसिकता’ के लिये सीजीएफ की आलोचना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के अच्छा प्रदर्शन करने पर हर बार नियमों में बदलाव की कोशिश की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत किसी भी देश का उपनिवेश नहीं है।
आईओए प्रमुख ने पत्र में लिखा, ‘हम 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार का प्रस्ताव रखते हैं ताकि राष्ट्रमंडल खेल महासंघ को समझ में आए कि भारत विरोधी मानसिकता अब नहीं चलेगी। सीडब्ल्यूजी में एक खास मानसिकता रखने वाले लोगों को समझना होगा कि भारत 1947 में आजाद हो चुका है और अब किसी का उपनिवेश नहीं है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था भी है।’
उन्होंने लिखा, ‘हम काफी समय से देख रहे हैं कि भारत जब भी खेलों पर पकड़ बनाने लगता है, तब नियमों में बदलाव की कोशिश की जाती है। अब हमें कड़े सवाल पूछने होंगे और कड़े कदम उठाने होंगे।’
बत्रा ने कहा कि आईओए इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता लिहाजा उन्होंने खेलमंत्री से मुलाकात का समय मांगा है। उन्होंने कहा,‘हम समझते हैं कि ऐसे फैसले राजनीतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर लेने चाहिए। आईओए इस मामले में विशेषज्ञ नहीं है और यही वजह है कि इस पत्र के जरिये हमने आपसे मुलाकात का समय मांगा है ताकि इस बारे में आपके समक्ष ब्यौरा रखा जा सके।’ सीजीएफ का कहना है कि यह मेजबान देश का अधिकार है कि वह निशानेबाजी रखे या नहीं और राष्ट्रमंडल खेलों में यह हमेशा वैकल्पिक खेल रहा है।