2015 में भारत को दिलाया पहला गोल्ड, अब यूएस मिलिट्री की ओर से खेलेंगे बेसबॉलर नरेंद्र

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: April 18, 2019 12:58 PM2019-04-18T12:58:32+5:302019-04-18T13:29:51+5:30

इस खिलाड़ी का बचपन से ही भारत के लिए खेलने का सपना था। साल 2007 में इंदौर में चैंपियनशिप के दौरान जब उन्होंने एक दोस्त से पूछा कि भारत में इस खेल का क्या स्तर है? तो पता चला कि देश इसमें कभी गोल्ड लाया ही नहीं...

Indian baseballer Narender Kumar create history | 2015 में भारत को दिलाया पहला गोल्ड, अब यूएस मिलिट्री की ओर से खेलेंगे बेसबॉलर नरेंद्र

2015 में भारत को दिलाया पहला गोल्ड, अब यूएस मिलिट्री की ओर से खेलेंगे बेसबॉलर नरेंद्र

बेसबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके नरेंद्र कुमार को यूएस मिलिट्री बेसबॉल में साइन किया गया है। एक ऐसा देश, जहां क्रिकेट को अन्य खेलों की तुलना में सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती हो, वहां से बेसबॉल जैसे खेल में एक खिलाड़ी का इस स्तर तक पहुंचना वाकई में काबिल-ए-तारीफ है। 

2 सितंबर 1994 को दिल्ली में जन्मे नरेंद्र ने 8वीं क्लास से बेसबॉल की शुरुआत की। दिल्ली के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले नरेंद्र ने दिल्ली विश्विद्यालय के भीमराव अंबेडकर कॉलेज से पढ़ाई की। नरेंद्र ने दिल्ली की टीम से खेलना शुरू किया, जिसके बाद 2015-2017 के बीच भारत के लिए खेला।

इस खिलाड़ी का बचपन से ही भारत के लिए खेलने का सपना था। साल 2007 में इंदौर में चैंपियनशिप के दौरान जब उन्होंने एक दोस्त से पूछा कि भारत में इस खेल का क्या स्तर है? तो पता चला कि देश इसमें कभी गोल्ड लाया ही नहीं। नरेंद्र को ये बात बेहद हैरान कर गई। बस तब से ही नरेंद्र ने भारत के लिए भविष्य में बेसबॉल या सॉफ्ट बॉल जैसे अमेरिकी खेल को खेलने का फैसला किया। 

नरेंद्र के मुताबिक, "मैं चाहता था इसमें भारत के लिए गोल्ड लेकर आऊं। तेहरान में आखिरकार मेरा सपना साकार हुआ। ये मेरा पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट था। यहां हमने इतिहास रचते हुए पहली बार गोल्ड जीता और मुझे बेस्ट पिचर का अवॉर्ड मिला। हमारा फाइनल ईरान से था। ये वही टीम थी, जिसने भारत को 6 महीने पहले ही एशियन चैंपियनशिप में 19-0 से हराया था। हमने उसी ईरान को 11-10 से मात दी। मैं उस टीम का हिस्सा होना बेहद खुशनसीबी मानता हूं, जिसने भारत को बेसबॉल में पहला गोल्ड दिलाया।" भारत 2015 से पहले 150 रैंक से भी पीछे था, लेकिन तेहरान में गोल्ड जीतने के बाद वह 63 रैंक तक आ गया। नरेंद्र को साल 2017 में फिनलैंड के टेम्पेरे टाइगर्स क्लब (Tampere Tigers Club) की ओर से खेलने का मौका मिला, जहां बेस्ट पिचर के अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके साथ ही फिनलैंड का बेस्ट प्लेयर-2017 भी चुना गया।

नरेंद्र बताते हैं, "मैंने कठिनाइयों का भी काफी सामना किया। वहीं मेरा लोगों ने साथ भी दिया। मुझे मेरे कोच ने भी सपोर्ट किया है। कॉलेज के कोच ललित गुप्ता मेरे पहले गुरु थे। उन्होंने मुझे अच्छा खिलाड़ी बनाने के लिए बहुत मदद की। वहीं शिखा राणा, जो मेरे लिए सगी बहन जैसी हैं, उन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया। वो हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाती रहीं। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल जीके आरोड़ा ने हर पल साथ दिया।"

जब नरेंद्र से पूछा गया कि भारत में बेसबॉल जैसे खेल के प्रति रुझान ना होने का क्या कारण हो सकता है, तो उन्होंने बताया, "भारत में बेसबॉल की स्थिति खास नहीं है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में खिलाड़ियों को गेम के हिसाब से रैंक दी जाती है। एमएलबी (Major League Baseball) में 300-400 मिलियन में खिलाड़ियों को साइन किया जाता है। इससे उनका भविष्य सुरक्षित हो जाता है। भारत में क्रिकेट के अलावा बेसबॉल में ऐसा नहीं है। क्रिकेट में आईपीएल है, जिसमें सेलेक्ट होने पर भी भविष्य बन सकता है, लेकिन बेसबॉल में अगर नेशनल या इंटनेशनल भी खेल लें, तो स्कॉलरशिप के अलावा ऐसा कुछ खास नहीं मिलता है। यहां तक कि कभी-कभार स्पॉन्सर ना होने के चलते विदेशी दौरों का खर्चा भी खुद ही उठाना पड़ता है, जो एक खिलाड़ी के लिए काफी कठिन है। दिल्ली में खिलाड़ियों के लिए ज्यादा जॉब नहीं है। ऐसे ही कुछ राज्यों में खिलाड़ियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है।

नरेंद्र आगे कहते हैं, "बेसबॉल विश्व के लगभग हर कोने में खेला जाता है। एशिया में क्रिकेट फेमस है, लेकिन पूरे विश्व में नहीं। मेरे ख्याल से जितने में पूरा आईपीएल होता है, उतने में एमएलबी का एक खिलाड़ी बेसबॉल में चुना जाता है। मतलब बेसबॉल गेम बहुत बड़ा है, लेकिन यहां लोगों की सोच बहुत छोटी है।"

नरेंद्र पर हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्विद्यालय में केस स्टडी भी की जा चुकी है। इस दौरान नरेंद्र के आस-पास के माहौल, उनके रहन-सहन और खान-पान पर गहनता से अध्ययन किया गया। नरेंद्र ने फिनलैंड जाकर Varalan Urheiluopisto स्पोर्ट्स कॉलेज में पढ़ाई की। इसके बाद नरेंद्र स्वीडन जाकर बेसबॉल खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी दे चुके हैं।

एक पिचर का करियर लगभग 2-4 साल का होता है। इसके बाद उनका कंधा जवाब दे जाता है। नरेंद्र पहले आउट फील्ड खेला करते थे। 2010 से उन्होंने पिचिंग शुरू की और आज 9 साल बाद भी वह 89 की स्पीड से पिचिंग करते हैं। फियस्टा विंटर लीग (Fiesta Winter League) के मालिक गैरी स्नाइडर (Gary Snyder) जब भारत आए, तो उन्होंने नरेंद्र की प्रतिभा को पहचाना और अपनी लीग में साइन किया। वह कहते हैं, "मुझे यूएस मिलिट्री (US Military) बेसबॉल टीम में जुआन एड्रियाटिक (Juan Adriatico) ने सेलेक्ट किया, जो काफी गर्व की बात है। क्योंकि विश्व की नंबर-1 आर्मी ने मुझे चुना।"

नरेंद्र से जब उनका आइडल पूछा गया, तो उन्होंने इसे बड़ा कठिन जवाब बताया। उन्होंने कहा, "हालांकि रिंकू सिंह और दिनेश पटेल यूएस के क्लब से खेल चुके हैं, लेकिन उन्हें कुछ दिन बाद वापस आना पड़ा। भारत का इस खेल में कोई खास इतिहास नहीं है। मैं चाहता हूं कि यहां के खिलाड़ी विदेशी लीग में खेलें, ताकि नए खिलाड़ियों के लिए कोई आइडल बने। भारत में लगभग शून्य से शुरुआत हो रही है। भारत इस वक्त बेसबॉल में पाकिस्तान और श्रीलंका से भी पीछे है। इस खेल में बेहतरी के लिए भारत की सरकार को बेसबॉल स्टेडियम के साथ अच्छे कोच मुहैया कराने होंगे।"

नरेंद्र कहते हैं, "बेसबॉल, क्रिकेट से खास अलग नहीं है। क्रिकेट में बल्लेबाजों को 22 गज की पिच पर सीधा भागना होता है, वहीं बेसबॉल में स्क्वायर ग्राउंड होता है। इसमें तीन बेस होते हैं, जब खिलाड़ी तीनों बेस को क्रॉस कर होम पर आता है, तो रन काउंट किया जाता है। क्रिकेट में छक्के होते हैं। इसमें होम रन होते हैं। क्रिकेट में रन आउट होते हैं, इसमें भी। इस गेम में भी कैच आउट होते हैं। हालांकि क्रिकेट में 11, जबकि बेसबॉल में 9 खिलाड़ी होते हैं। फिर भी खिलाड़ियों की दशा दोनों खेलों में अलग-अलग है।"

English summary :
Born on September 2, 1994 in Delhi, Narendra started baseball from the 8th class. Narender, who received elementary education from Government School, Delhi, studied at the Bhim Rao Ambedkar College of Delhi University. Narendra started playing with Delhi team, after which he played for India between 2015-2017.


Web Title: Indian baseballer Narender Kumar create history

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