पिता रिक्शा चालक मां नर्स, घर से दस रुपये लेकर चैंपियन बनने निकली थी भारत की यह तीरंदाज
By सुमित राय | Published: June 13, 2018 10:25 AM2018-06-13T10:25:38+5:302018-06-13T10:25:38+5:30
Deepika Kumari Birthday: दीपिका कुमारी के पिता एक रिक्शा चालक हैं और उनकी मां एक प्राइवेट नर्सिंग होम में काम करती हैं।
तीरंदाज दीपिका कुमारी का जन्म 13 जून 1994 को रांची के एक छोटे से गांव रातू में हुआ था। कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली दीपिका साल 2011 और 2015 वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। उन्होंने तीन बार आर्चरी वर्ल्ड कप में जीत हासिल की है। हालांकि दीपिका के लिए यह सब आसान नहीं था, क्योंकि शुरुआती दिनों में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी।
पिता रिक्शा चालक और मां नर्स
बचपन से ही अभाव में पली-बढ़ी दीपिका ने जीवन में हर कदम पर काफी संघर्ष किया। दीपिका के पिता एक रिक्शा चालक हैं और उनकी मां एक प्राइवेट नर्सिंग होम में काम करती हैं। गरीबी लड़कर दीपिका आम भारतीय लड़कियों के लिए मिसाल बन चुकी हैं, लेकिन दीपिका ने शुरुआती दिनों में लकड़ी के बने तीर-धनुष से निशाना लगाना सिखा था।
सिर्फ 10 रुपये लेकर निकली थी चैंपियन बनने
दीपिका का सपना तीरंदाज बनने का था, लेकिन इसके लिए उनके पिता के पास न तो पैसा था और ना ही समय। अपने पहले टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए दीपिका को रांची से लोहरदगा जाने के लिए जब अपने पिता से 10 रुपये मांगे थे तब उन्होंने मना कर दिया। लेकिन दीपिका ने हार नहीं मानी और पिता को उनकी बात माननी पड़ी।
दीपिका के पिता के पास उस समय दस रुपए भी नहीं थे। हालांकि, बाद में उन्होंने कहीं से दीपिका को 10 रुपए दे दिए। इसके बाद उन्होंने यहां पार्टिसिपेट किया और जीत दर्ज की। यहां से दीपिका के स्टार बनने की शुरुआत हुई। इसके बाद दीपिका ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दीपिका की लाइफ बन सकती हैं फिल्म
जल्द ही दीपिका कुमारी के संघर्षपूर्ण जीवन पर फिल्म बन सकती है। इस मशहूर तीरंदाज की बायोग्राफी आकाशवाणी रांची के सुनील बादल लिख रहे हैं। उनका कहना है कि इस संबंध में उनकी कई निर्माता-निर्देशकों से बात चल रही है। दीपिका के परिजनों से भी बातचीत हो चुकी है।
सिर्फ 22 की उम्र में पाया था पद्मश्री
दीपिका कुमारी को साल 2016 में पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। दीपिका इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बनी थीं।
साल 2006 में करियर की शुरुआत
शुरुआती दिनों में लकड़ी के तीर-धनुष से निशाना लगाने वाली दीपिका की तीरंदाजी की ट्रेनिंग की सही शुरुआत साल 2005 में हुई जब उन्होंने पहली बार अर्जुन आर्चरी अकादमी ज्वाइन की। यह अकादमी झारखंड के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा ने खरसावां में शुरू की थी। दीपिका के प्रोफेशनल करियर की शुरुआत साल 2006 में हुई जब उन्होंने टाटा तीरंदाजी अकादमी ज्वाइन की।