Asian Games 2018: जीतू राय से सुशील कुमार तक, इन पुरुष खिलाड़ियों से होंगी मेडल की उम्मीदें
By सुमित राय | Published: August 17, 2018 01:05 PM2018-08-17T13:05:42+5:302018-08-17T13:05:42+5:30
Asian Games 2018: आज हम आपको ऐसे पुरुष खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं जो एशियन गेम्स में मेडल जीत सकते हैं।
नई दिल्ली, 17 अगस्त। एशियन गेम्स 2018 का आगाज 18 अगस्त से इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हो रहा है और एक बार फिर भारतीय खिलाड़ी मेडल जीतने के लिए जोरदार तैयारी कर रहे हैं। भारतीय खिलाड़ियों की नजरें साल 2014 के इंचियोन एशियन गेम्स से बेहतर प्रदर्शन करने पर है। भारत के 572 खिलाड़ी इस साल एशियन गेम्स के लिए जकार्ता पहुंचे हैं, जो 34 खेलों में हिस्सा लेंगें। इनमें 312 पुरुष खिलाड़ी हैं जो मेडल के लिए जीतने का सपना लेकर पहुंचे हैं। आज हम आपको ऐसे पुरुष खिलाड़ियों के बारे में बता रहे हैं जो एशियन गेम्स में मेडल जीत सकते हैं।
बजरंग पूनिया : हरियाणा के इस 24 साल के पहलवान ने इंचियोन में रजत पदक जीता था। शानदार फार्म में चल रहे बजरंग 65 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में पदक का दावेदार हैं और इस साल तीन टूर्नामेंट जीत चुके हैं। गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड के अलावा उन्होंने जार्जिया और इस्तांबुल में दो टूर्नामेंट जीते हैं। बजरंग टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से पहले जोरदार तैयारी कर रहे हैं, ताकि पिछले सिल्वर मेडल (एशियन गेम्स) को गोल्ड में बदल सके।
सुशील कुमार : हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में राष्ट्रमंडल के दौरान 74 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतनेवाले कुमार इस बार एशियन गेम्स में बड़े दावेदार होंगे। लगातार दो ओलंपिक मेडल जीत चूके सुशील कुमार से गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद होगी। वह इसके लिए जोरदार तैयारी भी कर रहे हैं। फेडरेशन ने जॉर्जिया में कड़ा अभ्यास करने की अनुमति दी है। इसके पहले सुशील ने 2006 दोहा एशियाई खेलों में कांस्य पदक अपने नाम किया था।
किदांबी श्रीकांत : कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल विजेता किदांबी श्रीकांत पुरुष एकल में भारत की अकेली उम्मीद हैं। अप्रैल में नंबर एक की रैंकिंग हासिल करने वाले श्रीकांत को चीन, इंडोनेशिया और जापान के खिलाड़ियों से कड़ी चुनौती मिलेगी।
नीरज चोपड़ा : इस युवा भालाफेंक खिलाड़ी के कद का अहसास इसी से हो जाता है कि यह भारतीय दल के ध्वजवाहक हैं। अंडर 20 विश्व चैंपियनशिप 2016 में गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में इस कामयाबी को दोहराया। नीरज ने दोहा में आईएएएफ डायमंड लीग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। पिछले चार टूर्नामेंटों में से तीन में वह गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।
रामकुमार रामनाथन : युकी भांबरी की गैर मौजूदगी में भारत की उम्मीदों का दारोमदार रामकुमार रामनाथन पर होगा। न्यूपोर्ट एटीपी टूर्नामेंट में फाइनल तक पहुंचे रामनाथन ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था। एशियन गेम्स के पुरुष एकल वर्ग में मेडल के दावेदार माने जा रहे हैं।
रोहन बोपन्ना और दिविज शरण : डबल्स के एक्सपर्ट माने जाने वाले लिएंडर पेस के एशियन गेम्स से नाम वापस लेने के बाद पूरा दारोमदार रोहन बोपन्ना और दिविज शरण की जोड़ी पर है। कंधे की चोट से उबरे रोहन बोपन्ना अगर अपनी क्षमता के अनुरुप खेल सके तो दिविज के साथ युगल में पदक के दावेदार होंगे।
शिवा थापा : साल 2015 में विश्व एमेच्योर चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके 24 साल के शिवा थापा एशियाई खेलों के 60 किलोग्राम भार वर्ग में किस्मत आजमाएंगे। पुरुषों के 60 किलो वर्ग में थापा एशियाई खेलों में पहला पदक जीतने की कोशिश में होंगे। एशियाई चैंपियनशिप में लगातार तीन पदक जीतकर उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
विकास कृष्ण : एशियाई खेलों से पहले अनुभवी मुक्केबाज विकास कृष्ण की नजरें सिर्फ पदक पर ही नहीं टिकी हैं जबकि इन खेलों में पदक उनका नाम इतिहास में दर्ज करा देगा। एशियाई खेल 2010 के स्वर्ण और 2014 के कांस्य पदक विजेता विकास लगातार तीन एशियाई खेलों में पदक जीतने वाला पहला भारतीय मुक्केबाज बनने के लक्ष्य के साथ इन खेलों में उतर रहे हैं।
जीतू राय : पिछले एशियाई गेम्स की शूटिंग स्पर्धा में पहला गोल्ड मेडल जीतू राय ने जीता था और खाता खोला था। उन्होंने 50 मीटर पिस्टल में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था और शूटिंग में गोल्ड जीतने वाले इकलौते भारतीय थे। इस बार फिर जीतू राय से अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद है।
मेंस हॉकी टीम : एशियन गेम्स में पुरुष हॉकी टीम से देश को मेडल की उम्मीद है। इसकी अहम वजह ये है कि पिछली बार 2014 में इंचियोन में हुए एशियाई खेलों में जहां मेंस टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। मेंस टीम ने तब रोमांचक फाइनल में पाकिस्तान को हराया था। एशियन गेम्स के इतिहास में मेंस हॉकी में भारत ने तीन गोल्ड मेडल (1966, 1998, 2014) और 9 सिल्वर अब तक जीते हैं।