Beyond The Clouds मूवी रिव्यूः एक साधारण सी कहानी पर माजिद मजीदी का असाधारण ट्रीटमेंट
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 19, 2018 07:54 AM2018-04-19T07:54:30+5:302018-04-19T07:54:30+5:30
Beyond the clouds Movie Review in Hindi: 'चिल्ड्रेंस ऑफ हैवेन' जैसी फिल्में बनाने वाले ईरानी निर्देशक माजिद मजीदी पर्दे पर कविता रचते हैं। उनके पास एक साधारण सी कहानी में भी असाधारण गहराई डालने की कला है।
कास्टः ईशान खट्टर, मलविका मोहनन, गौतम घोष, तनिष्ठा चटर्जी, द्वानी राजेश।
डायरेक्टरः माजिद मजीदी
म्यूजिकः ए.आर. रहमान
रेटिंगः 4/5
'बियॉन्ड द क्लाउड्स' फिल्म का पहला शॉट करीब 40 सेकेंड लंबा है। पहले शॉट से ही डॉयरेक्टर माजिद मजीदी आपको अपनी रचनात्मकता की गिरफ्त में लेने लगते हैं। अगले 119 मिनट आप मजीदी के उसी रचनालोक में घूमते रहते हो। फिल्म एक प्रतीकात्मक सीन से खत्म होती है जो बहुत कुछ अनकहा रखते हुए भी सबकुछ कह जाता है। 'चिल्ड्रेंस ऑफ हैवेन' जैसी फिल्में बनाने वाले मजीदी पर्दे पर कविता रचते हैं। उनके पास एक साधारण सी कहानी में भी असाधारण गहराई डालने की कला है। जब उन्होंने भारत में फिल्म बनाने की घोषणा की थी तो सभी के मन में एक सवाल आया कि क्या ये एक और 'स्लमडॉग मिलेनियर' साबित होगी? 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' का ट्रेलर देखकर ये आशंका और पुख्ता हुई। फिल्म देखने के बाद के एहसास को आपसे साझा करें उससे पहले इसकी कहानी जान लेते हैं।
कहानी
मुंबई में अलग-अलग रहने वाले भाई-बहन आमिर और तारा की कहानी है। एक दिन अचानक वो दोनों मिलते हैं और परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि बहन को जेल जाना पड़ता है। इसके बाद दोनों के अपने-अपने और समानांतर संघर्ष शुरू होते हैं। तमाम मुश्किलों को झेलते हुए उन दोनों को मिलती है उम्मीदों की एक धुंधली तस्वीर, जो बादलों के पार दिख रही है। माजिद मजीदी की पिछली फिल्मों की तरह ही बियॉन्ड द क्लाउड्स भी एक साधारण सी कहानी है। जैसे चिल्ड्रेंस ऑफ हैवेन में भाई-बहन की एक जोड़ी जूते की जद्दोजहद होती है। लेकिन मजीदी का ट्रीटमेंट इतना असाधारण था जिसने इस फिल्म को एकेडेमी अवार्ड के नॉमिनेट किया गया।
अभिनय
फिल्म के दोनों लीड एक्टर्स ईशान खट्टर और मालविका मोहनन की यह डेब्यू हिंदी फिल्म है। इन दोनों कलाकारों ने शानदार एक्टिंग की है। ईशान खट्टर मुंबई के स्लम में रहने वाले आमिर का किरदार निभा रहे हैं। एक ऐसा लड़का जो महत्वाकांक्षी है लेकिन बेचैन भी, उसमें क्रूरता है और दया भी, उसमें बेचैनी है और गुस्सा भी। अपने कंफर्ट जोन को चुनौती देते हुए ईशान ने इन सभी शेड्स को शिद्दत से जिया है। आमिर की बहन तारा के किरदार में मालविका मोहनन हैं। फिल्म में इनकी आंखों से भी अभिनय किया है। इनके किरदार में मेलोड्रामा होने के बावजूद ये रियलिस्टिक लगी हैं। माजिद मजीदी का असली जादू आशा और तनीशा के किरदारों में झलकता है। इन दोनों को मासूमियत देखकर लगता है स्क्रीन ठहर जाए। इनकी एंट्री इंटरवल के बाद होती है और तभी फिल्म में एहसासों की असली गर्माहट भी आती है। तीन बार की नेशनल अवार्ड विनर जीवी शारदा ने हमेशा की तरह बेहतरीन किरदार निभाया है।
जेल के अंदर तारा को छोटू मिलता है। छोटू जब तीन महीने का था तब से उसकी माँ जेल में है। बीमारी के चलते छोटू की माँ जेल में मर जाती है। छोटू तारा से पूछता है माँ कहाँ गयी। तारा बोलती है, चाँद में बनाए एक खूबसूरत घर में। छोटू का अगला सवाल होता है, ये चाँद क्या होता है?
माजिद मजीदी से पहले भी विदेशी निर्देशकों ने इंडिया में आकर फिल्में बनाई हैं। लेकिन उसमें ज्यादातर का फोकस यहां के स्लम, गरीबी, करप्शन और व्यभिचार दिखाने पर ही रहा है। लेकिन ईरानी निर्देशक मजीद मजीदी ने इंडिया की असली नब्ज पकड़ी है। बियॉन्ड द क्लाउड्स एक ऐसी फिल्म है जिसमें घनघोर घृणा के पीछे भी दबा प्रेम होता है। जो संघर्षों में निखरकर चमक जाता है और पूरी फ़िल्म को अपने आगोश में ले लेता है।
Final verdict: 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' आपको एक उम्मीद के साथ छोड़ जाती है। माजिद मजीदी की यही खासियत भी है। नफरतों से घिरे समाज में ऐसी फिल्में बननी चाहिए। जरूर देखें!
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