‘सुपर 40’ ने पहली बार किया बादलों का सफर, नन्हीं आंखों ने बुने भविष्य के सुनहरे ख्वाब

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 26, 2019 12:51 PM2019-07-26T12:51:07+5:302019-07-26T12:51:07+5:30

अक्षरा की मां पूजा ने बताया कि वह अपनी बेटी को डाक्टर बनाना चाहती हैं और बेटी की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। एक ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली पूजा कहती हैं कि उनकी बेटी ने पूरे मोहल्ले में उनका नाम रोशन कर दिया।

super 40 made the first trip to Jaipur in flight | ‘सुपर 40’ ने पहली बार किया बादलों का सफर, नन्हीं आंखों ने बुने भविष्य के सुनहरे ख्वाब

‘सुपर 40’ ने पहली बार किया बादलों का सफर, नन्हीं आंखों ने बुने भविष्य के सुनहरे ख्वाब

Highlightsआसपास की महिलाएं अपने बच्चों को अक्षरा जैसा बनने के लिए कहती हैं तो बहुत गर्व महसूस होता है।इन बच्चों में ज्यादातर के पिता गांधी नगर की गारमेंट मार्केट में सिलाई का काम करते हैं। मनप्रीत कौर ने बताया कि हवाई जहाज से जयपुर जाना उसके लिए सपने जैसा था।

पिछले कुछ दिन से नौ बरस की अक्षरा रघुबर पुरा के अपने मोहल्ले में अचानक मशहूर हो गई है। वह जब गली से निकलती है, आसपास के घरों में रहने वाली महिलाएं उसकी तरफ इशारा करके अपने बच्चों को ताना देती हैं। उसके साथ पढ़ने वाली बच्चियां अब पहले से ज्यादा पढ़ने लगी हैं, ताकि अक्षरा जैसी बन सकें और उसके माता-पिता को इस बात का फख्र है कि जो काम वह नहीं कर सके, उनकी बेटी ने कर दिखाया।

दरअसल पूर्वी दिल्ली में गांधी नगर विधानसभा क्षेत्र के रघुबर पुरा के निगम पार्षद श्याम सुंदर अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार सतेन्द्र त्रिपाठी और अन्य समाजसेवी ने तकरीबन छह माह पहले ऐलान किया था कि वह इलाके के नगर निगम के दस स्कूलों की चौथी और पांचवीं कक्षा में पहला और दूसरा स्थान हासिल करने वाले बच्चों को विमान यात्रा कराएंगे। सभी ने अपना वादा निभाया और अक्षरा सहित 40 बच्चों को पिछले सप्ताह दो दिन की जयपुर यात्रा पर लेकर गए।

बेटी की उपलब्धि से बहुत खुश

अक्षरा की मां पूजा ने बताया कि वह अपनी बेटी को डाक्टर बनाना चाहती हैं और बेटी की उपलब्धि से बहुत खुश हैं। एक ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली पूजा कहती हैं कि उनकी बेटी ने पूरे मोहल्ले में उनका नाम रोशन कर दिया। आसपास की महिलाएं अपने बच्चों को अक्षरा जैसा बनने के लिए कहती हैं तो बहुत गर्व महसूस होता है। अग्रवाल अपनी इस पहल की जानकारी देते हुए बताते हैं कि वह नगर निगम के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्रतिभावान बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे।

2017 में भाजपा के टिकट पर नगर निगम का चुनाव जीते अग्रवाल ने पिछले बरस बच्चों को उनके सामूहिक फोटो फ्रेम करवाकर दिए थे, ताकि वह उसे अपने स्कूली दिनों की याद के तौर पर संजोकर रख सकें। इस बार वह अजीत नगर, न्यू सीलमपुर, जी ब्लॉक, रघुबरपुरा, सुभाष मोहल्ला और नानक बस्ती के रहने वाले बच्चों को बादलों के सफर पर ले गए। अग्रवाल बताते हैं कि खुद उनका जीवन अभावों में गुजरा और वह 9-10 साल की उम्र में कुल्फी और मूंगफली बेचा करते थे। उन्होंने गरीबी और इसकी बेचारगी को बड़े करीब से महसूस किया है।

हवाई जहाज से जयपुर जाना उसके लिए सपने जैसा

वह जानते हैं कि यह बच्चों के सुनहरे सपनों के पनपने की उम्र है लिहाजा उन्होंने उनके सपनों को पंख देने का फैसला किया। इन बच्चों में ज्यादातर के पिता गांधी नगर की गारमेंट मार्केट में सिलाई का काम करते हैं। ईडीएमसी प्राथमिक विद्यालय की पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली मनप्रीत कौर ने बताया कि हवाई जहाज से जयपुर जाना उसके लिए सपने जैसा था।

वहां अल्बर्ट हॉल स्थित संग्रहालय उसे सबसे ज्यादा पसंद आया, जहां लड़ाइयों में इस्तेमाल किए गए ढेरों पुराने हथियार रखे हैं। इसी स्कूल के शिक्षक कीर्ति कुमार कहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूलों तक लाने और पढ़ाई में अच्छा करने के लिए प्रेरित के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और इस तरह की पहल से बच्चों में एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ है।

चौथी कक्षा में दूसरे स्थान पर रही दीपिका धुरिया के पिता सिलाई का काम करते हैं और मां धागे की कटाई करती हैं। उसकी बड़ी बहन बोल नहीं पाती, लेकिन जब उसे पता चला कि दीपिका विमान से जयपुर जा रही है तो वह भी उसके साथ जाने की जिद करने लगी।

दीपिका का कहना है कि वह आगे भी मेहनत करती रहेगी और एक दिन अपने माता-पिता और बहन को विमान यात्रा करवाएगी। विमान की आवाज सुनकर दौड़कर अपने घर से बाहर निकलकर आसमान की तरफ टकटकी लगा लेने वाली नीतू गुप्ता के पिता सिलाई का काम करते हैं और मां लोगों के घरों में खाना बनाती है। उसने कभी सोचा नहीं था कि इतना छोटा सा दिखने वाला विमान दरअसल इतना बड़ा होता है।

विमान से जयपुर पहुंचे इन 40 बच्चों में एक दर्जन से ज्यादा लड़कियां शामिल थीं

उसे जयपुर में हवा महल, आमेर का किला और उनमें रहने वाले राजा रानियों के बारे में गाइड द्वारा बताई गई बातें सबसे अच्छी लगीं। विमान से जयपुर पहुंचे इन 40 बच्चों में एक दर्जन से ज्यादा लड़कियां शामिल थीं और बच्चों की देखभाल के लिए 11 शिक्षकों को भी ले जाया गया था।

20 और 21 जुलाई को इन लोगों को जयपुर के हवा महल, जंतर मंतर, जल महल, कनक गार्डन, बिरला मंदिर, गणेश मंदिर, अल्बर्ट म्यूजियम, बापू बाजार और आमेर का किला घुमाया गया। बच्चों ने जयपुर में मशहूर राज मंदिर थियेटर में सुपर-30 मूवी भी देखी और एसी बस से वापस दिल्ली लौट आए। इन बच्चों को इस यात्राा के दौरान अलग अलग चीजें पसंद आईं।

शुभम को कनक गार्डन अच्छा लगा तो मोहम्मद समीर को हवा महल, गौरव सिंह को जंतर मंतर पसंद आया तो रिजवान को बादलों पर उड़ते विमान की खिड़की से झांकना सबसे ज्यादा मजेदार लगा। अग्रवाल कहते हैं कि उनका मकसद इन बच्चों को जयपुर ले जाना या घुमाना भर नहीं था, वह नन्हीं आंखों में चमकीले सपने बुनने वाले इन ‘सुपर 40’ को जिंदगी के आसमान पर ऊंची उड़ान भरने का एक जज्बा देना चाहते हैं। उनकी इस योजना पर 2.75 रूपए का खर्च आया। वह बताते हैं कि स्थानीय लोगों ने खुले दिल से आर्थिक सहयोग देकर उनकी इस पहल को सफल बनाया। 

Web Title: super 40 made the first trip to Jaipur in flight

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