गवाहों ने मजिस्ट्रेट को बताया, Republic TV ने हमें सीधे टीआरपी में हेराफेरी के लिए भुगतान किया
By रामदीप मिश्रा | Published: October 16, 2020 02:42 PM2020-10-16T14:42:42+5:302020-10-16T14:42:42+5:30
मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने कहना है कि टीआरपी घोटाले में शामिल रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों के शामिल होने की तीन गवाहों ने पुष्टि कर दी है। हालांकि सिंह ने विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया और कहा है कि कोई भी खुलासा जांच में बाधा बनेगा।
मुंबईः टीआरपी घोटाले की जांच कर रहे शहर के अधिकारियों ने कहा कि एक मजिस्ट्रेट के सामने चार लोगों ने बयान दिया है कि दो टीवी चैनलों ने दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए सीधे भुगतान किया है। पुलिस मामले में इन चैनलों के खिलाफ उन्हें गवाह माना जाएगा। चार लोगों में से तीन ने मजिस्ट्रेट के सामने यह कहा कि रिपब्लिक टीवी ने उन्हें भुगतान किया, जबकि चौथे गवाह ने बॉक्स सिनेमा का नाम लिया है।
मुंबई के पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने कहना है कि टीआरपी घोटाले में शामिल रिपब्लिक टीवी के अधिकारियों के शामिल होने की तीन गवाहों ने पुष्टि कर दी है। हालांकि सिंह ने विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया और कहा है कि कोई भी खुलासा जांच में बाधा बनेगा। रिपब्लिक टीवी, बॉक्स सिनेमा और फेक्ट मराठी चैनल की जांच क्राइम ब्रांच की टीम कर रही है।
पुलिस ने का कहना है कि बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत रिकॉर्ड किए गए हैं। अब तक गिरफ्तार किए गए पांच लोगों में से तीन, हंसा रिसर्च के कर्मचारी हैं, जिनमें से एक भूतपूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने बताया है कि वे रैकेट का हिस्सा थे और घरों में भुगतान कर रहे थे। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) ने हंसा को लोगों के मीटर लगाने का काम सौंपा था।
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रिपब्लिक मीडिया समूह से कहा कि टेलीवजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) में हेराफेरी मामले में मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज मामले में बंबई हाईकोर्ट जाएं। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें उच्च न्यायालयों में भरोसा रखना चाहिए। न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी उच्च न्यायालय काम करता रहा है और मीडिया समूह को वहां जाना चाहिए।
इस मीडिया हाउस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस मामले में चल रही जांच को लेकर आशंका व्यक्त की। इस पर पीठ ने कहा, 'आपके मुवक्किल का वर्ली (मुंबई) में कार्यालय है? आप बंबई उच्च न्यायालय जा सकते हैं। उच्च न्यायालय द्वारा मामले को सुने बगैर ही इस तरह से याचिका पर विचार करने से भी संदेश जाता है। उच्च न्यायालय महामारी के दौरान भी काम कर रहा है।'
मुंबई पुलिस ने टीआरपी घोटाले में एक मामला दर्ज किया है और उसने रिपब्लिक टीवी के मुख्य वित्त अधिकारी एस सुन्दरम को जांच के लिये तलब किया है। मुंबई के पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ हेराफेरी की। पुलिस के अनुसार यह गोरखधंधा उस समय सामने आया जब टीआरपी का आकलन करने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च समूह के माध्यम से इस बारे में एक शिकायत दर्ज करायी।
शीर्ष अदालत में यह याचिका रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के स्वामित्व वाली आर्ग आउटलायर मीडिया प्रा लि ने दायर की थी और इसमें पुलिस द्वारा जारी सम्मन निरस्त करने का अनुरोध किया गया था। इससे पहले, मुंबई पुलिस ने शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल करके रिपब्लिक मीडिया समूह की याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था। मुंबई पुलिस ने दलील दी थी कि याचिकाकर्ता कथित टीआरपी रेटिंग्स के साथ हेराफेरी की जांच निरस्त कराने के लिये संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) का सहारा नहीं ले सकते हैं।
पुलिस का कहना था कि कानून के तहत किसी भी अपराध की जांच के मामले में इस अनुच्छेद की आड़ नहीं ली जा सकती है। पुलिस का कहना था कि उसके द्वारा दर्ज प्राथमिकी में अगर कोई मामला बनता है तो उस पर इस समय फैसला नहीं किया जा सकता है। पुलिस के अनुसार इस मामले में जांच अभी जारी है और ऐसी कोई विशेष परिस्थिति पैदा नहीं हुयी है कि इस न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इसमें हस्तक्षेप करना पड़े।