मिसाल! लॉकडाउन में ये शख्स मुफ्त में गरीबों को दे रहा है सब्जी, दुकान पर लिखा- 'संभव हो तो खरीदें, नहीं तो मुफ्त में ले जाएं'
By भाषा | Published: May 27, 2020 01:20 PM2020-05-27T13:20:41+5:302020-05-27T13:20:41+5:30
निजी कंपनी में काम करने वाला राहुल लाबड़े अब सब्जियां बेचकर आजीविका चला रहा है। यही नहीं, निजी कंपनी में काम करने वाले राहुल करीब लोगों को मुफ्त में सब्जियां दे रहे हैं। लॉकडाउन के कारण उनकी कंपनी ने उन्हें वेतन देना बंद कर दिया है, जिसकी वजह से वो आजीविका चलाने के लिए अपने पिता के साथ सब्जियां बेचने का काम कर रहे हैं।
औरंगाबाद:महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में बंद के बीच एक ठेले पर लगा बोर्ड वहां से गुजरने वालों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। बोर्ड पर लिखा है, ‘‘संभव हो तो खरीदें, नहीं तो मुफ्त में ले जाएं।’’ कुछ लोग इस ठेले को जिज्ञासा भरी नजरों से देखते हैं को कुछ सब्जी विक्रेता की इस कोशिश की सराहना करते हैं। यह सब्जी विक्रेता स्नातक पास है और किसी निजी कंपनी में काम करता है।
बंद की वजह से आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे लोगों को वह सब्जी मुहैया करा रहा है। बंद के दौरान जब एक निजी कंपनी ने उसे वेतन देना बंद कर दिया तो राहुल लाबड़े ने आजीविका चलाने के लिए अपने पिता के साथ सब्जियां बेचने का फैसला किया। शुरू में वह अन्य सब्जी विक्रेताओं की तरह ही बाजार की कीमत पर सब्जियां बेचता था लेकिन बाद में उसने जरूरतमंद और गरीब लोगों को मुफ्त में सब्जियां देने का निर्णय लिया। उसने बताया कि चार दिन पहले एक महिला पांच रुपये लेकर सब्जी खरीदने आई थी।
उसने बताया, ‘‘बुजुर्ग महिला मेरे पास आईं और उन्होंने पांच रुपये की सब्जी देने को कहा क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सोचा कि पांच रुपये में क्या ही होगा। इसके बाद मैंने उन्हें मुफ्त में उतनी सब्जियां दे दीं जितनी उनकी जरूरत थी। इसके बाद मैंने निर्णय लिया कि ऐसे लोग जो खरीदने की स्थिति में नहीं है, उन्हें मुफ्त में सब्जी दी जाएगी।’’
लाबड़े का दावा है कि पिछले तीन दिन में वह करीब 100 लोगों की मदद कर चुका है। वह शहर के भावसिंहपुरा क्षेत्र के आंबेडकर चौक पर सब्जी बेचता है। उसने कहा, ‘‘मैं अब तक लोगों को 2,000 रुपए तक की सब्जी मुफ्त में दे चुका हूं। मैं यह काम तब तक जारी रखूंगा जब तक कि मेरी आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत देगी। मेरी इच्छा है कि कोई भी रात में भूखा न सोए।’’