महाराष्ट्र सरकार ने माना, 3 साल में 12 हजार से अधिक किसानों ने की खुदकुशी

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 22, 2019 07:56 AM2019-06-22T07:56:26+5:302019-06-22T08:17:13+5:30

farmer suicide in maharashtra: राकांपा नेता अजित पवार, जयंत पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल और अन्य सदस्यों द्वारा पूछे गए लिखित सवाल के जवाब में सरकार ने उक्त जानकारी दी. मदद एवं पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने बताया कि आत्महत्या के 12021 मामलों में से 6888 मामले नियमों पर खरे उतरते पाए गए.

over 12000 farmers committed suicide in 3 years in maharashtra devendra fadnavis accepted | महाराष्ट्र सरकार ने माना, 3 साल में 12 हजार से अधिक किसानों ने की खुदकुशी

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Highlights इसी कड़ी में जनवरी से मार्च 2019 तक 610 किसानों ने खुदकुशी की. इनमें से 6845 पात्र मामलों में मृत किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की मदद की गई.

(प्रमोद गवली)

सत्तारूढ़ देवेंद्र फडनवीस सरकार ने स्वीकार किया है कि वर्ष 2015 से 2018 के दौरान राज्य में कुल 12021 किसानों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या की. इसी कड़ी में जनवरी से मार्च 2019 तक 610 किसानों ने खुदकुशी की. इनमें से 6845 पात्र मामलों में मृत किसानों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की मदद की गई. बाकी 5133 प्रकरणों में नियमों की पूर्ति नहीं होने की वजह से मदद नहीं दी जा सकी.

राकांपा नेता अजित पवार, जयंत पाटिल, दिलीप वलसे पाटिल और अन्य सदस्यों द्वारा पूछे गए लिखित सवाल के जवाब में सरकार ने उक्त जानकारी दी. मदद एवं पुनर्वास मंत्री सुभाष देशमुख ने बताया कि आत्महत्या के 12021 मामलों में से 6888 मामले नियमों पर खरे उतरते पाए गए. जिला स्तरीय समिति ने अब तक 6845 मामलों को पात्र माना है और संबंधित परिजनों को मदद मुहैया कराई है. उन्होंने बताया कि जनवरी से मार्च 2019 के दौरान 610 किसानों ने आत्महत्या की.

इनमें से 192 मामले जिला स्तरीय समिति में पात्र करार दिए गए. 96 मामले नियमों के तहत नहीं बैठने की वजह से अपात्र बताए गए. पात्र 192 में से 182 मामलों में मृत किसानों के परिजनों को मदद उपलब्ध कराई गई. 323 मामलों की जांच की जा रही है. विधायकों ने यह जानना चाहा था कि आत्महत्या मामले में जमीन किसान के मालिकाना हक की है या नहीं. इस बारे में जानकारी मांगी जाती है? क्या महिलाओं, आदिवासियों और दलितों के मामले 'अन्य' में लिखे जा रहे हैं.

इसके चलते उनके परिजनों को मदद से वंचित रखा जा रहा है? इस पर देशमुख ने कहा कि 27 फरवरी 2006 के सरकारी निर्णय के अनुसार मृत किसान के परिजनों में से कोई एक यदि खेती कर रहा है, तो संबंधित आदमी को किसान करार दिया जाता है. मदद देने के लिए जब मामले की जांच की जाती है, तो यह देखा जाता है कि संबंधित किसान ने खेती के लिए या खेत में सुधार करने के लिए कर्ज लिया था या नहीं.

इसके अलावा यह भी देखा जाता है कि उक्त किसान ने राष्ट्रीयकृत बैंक, सहकारिता बैंक, सहकारिता साखसंस्था और मान्यताप्राप्त साहूकार से कर्ज लिया था या नहीं. यदि इनमें से किसी एक से कर्ज लिया हो और उसे चुकाया नहीं गया हो तो संबंधित किसान के परिजन मदद के लिए पात्र माने जाते हैं.

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