बीजेपी MLA का बयान, नेहरू और महात्मा गांधी ने किया था दलित एवं आदिवासियों के लिए आरक्षण का विरोध
By भाषा | Published: January 8, 2020 05:23 PM2020-01-08T17:23:25+5:302020-01-08T17:23:25+5:30
लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को दस और साल तक के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। इस विधेयक का अनुमोदन दोनों सदनों ने किया है।
महाराष्ट्र विधान परिषद में स्थिति उस वक्त हंगामेदार हो गयी जब विपक्ष के नेता तथा भाजपा विधान पार्षद प्रवीण दारेकर ने दावा किया कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू एवं महात्मा गांधी ने भारत की संविधान सभा के गोल मेज सम्मेलन के दौरान अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने का विरोध किया था।
दारेकर 126 वें संविधान संशोधन विधेयक पर उच्च सदन में बोल रहे थे। इसके तहत लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को दस और साल तक के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी है। इस विधेयक का अनुमोदन दोनों सदनों ने किया है।
दारेकर ने दावा किया, ‘‘संविधान सभा की बैठक के दौरान बाबासाहेब आम्बेडकर ने कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया लेकिन नेहरू और गांधी ने इसका विरोध किया था।’’
दारेकर के बयान के बाद विधानमंडल के उच्च सदन में हंगामा शुरू हो गया और विधान पार्षदों कपिल पाटिल तथा कांग्रेस के शरद रनपीजे ने इस पर विरोध जताया। पाटिल ने कहा कि दारेकर ने वही बात दुहरायी है जिसे विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा था।
उन्होंने कहा कि दारेकर ने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है और उन्हें अपने शब्द वापस लेने चाहिए । दारेकर अपने बयान पर अड़े रहे जिसके बाद प्रदेश में शिवसेना की अगुवाई वाली सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अघाड़ी में शामिल कांग्रेस की ओर से कुछ सख्त प्रतिक्रिया आयी। इस शोरगुल के बीच विधान परिषद के सभापति रामराजे निम्बालकर ने सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।