महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या, मोदी सरकार ने संसद में स्वीकारी बात
By हरीश गुप्ता | Published: June 29, 2019 08:11 AM2019-06-29T08:11:07+5:302019-06-29T08:15:33+5:30
कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी देते हुए दावा किया कि सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों द्वारा तैयार कार्यक्रम को पूरी मजबूती से समर्थन देने के लिए 20 सूत्रीय योजना तैयार की है.
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में स्वीकारा है कि किसानों की आत्महत्या के देश में सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में ही मिले हैं. इसके बाद तेलंगाना और कर्नाटक का क्रम आता है. सरकार ने जानकारी दी कि बिहार, झारखंड, जम्मू कश्मीर और गोवा समेत 16 राज्यों में किसान आत्महत्या का एक भी मामला नहीं मिला.
वर्ष 2015 में देश में 8007 किसानों ने आत्महत्या की, जिनमें महाराष्ट्र के 3030 किसान थे. 2014 में महाराष्ट्र में 2568 किसानों ने आत्महत्या की थी. वर्ष 2015 में 2014 की तुलना में किसान आत्महत्या के मामलों में पूरे देश में ही इजाफा देखने को मिला.
2016-18 के बीच सरकार के पास आंकड़ा नहीं
सरकार ने उधर, राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2016, 2017, 2018 के आंकड़े फिलहाल उपलब्ध नहीं है. कृषि व ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी देते हुए दावा किया कि सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों द्वारा तैयार कार्यक्रम को पूरी मजबूती से समर्थन देने के लिए 20 सूत्रीय योजना तैयार की है.
कृषि को राज्य सरकार का विषय करार देते हुए तोमर ने कहा कि राज्य सरकारें ही विभिन्न योजनाएं बनाती हैं और उनके सफल क्रियान्वयन का जिम्मा भी उन्हीं का होता है. सरकार ने 2016 में अंतर-मंत्रालयीन समिति का गठन कर उससे किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए सिफारिशें मांगी थी.
सिफारिशों के आधार पर इस साल 23 जनवरी को एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया. यह समिति सभी सिफारिशों के क्रियान्वयन पर नजर रखेगी. सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि और लागत में कमी के लिए ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, ठिंबक सिंचाई, पीएम फसल बीमा, पीएम-किसान, ज्यादा समर्थन मूल्य सहित अनेक सुधारवादी कदम उठाए हैं.