महाराष्ट्र चुनावः यहां बीजेपी का रहा है दबदबा, 14 में से आठ चुनाव में विरोधियों को चटाई धूल, इस बार कांग्रेस से टक्कर
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: October 16, 2019 06:11 AM2019-10-16T06:11:17+5:302019-10-16T06:11:17+5:30
मलकापुर विधानसभा का पहला चुनाव 1951 में हुआ था, जब मलकापुर मध्यप्रदेश राज्य में आता था. इस चुनाव में कांग्रेस के भीकू फकीरा शेलके विजयी हुए थे. 1957 में हुए दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के ही भीकू फकीरा शेलके विजयी हुए थे. तब मलकापुर विधानसभा बॉम्बे स्टेट में जा चुकी थी.
मोहम्मद रियाज
1951 से 2014 तक 14 बार हुए मलकापुर विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने 8 बार जीत हासिल की है, जिसमें भाजपा उम्मीदवार के रूप में चैनसुख संचेती 5 बार जीते हैं. संचेती एक बार निर्दलीय भी चुनाव जीते हैं, बाद में उन्होंने भाजपा में प्रवेश लिया था. कुल मिलाकर वह 6 बार चुनाव जीत चुके हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के राजेश एकड़े से है. जहां भाजपा अपने गढ़ को बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. वहीं कांग्रेस भाजपा से इस गढ़ को छीनने के लिए बेताब नजर आ रही है.
मलकापुर विधानसभा का पहला चुनाव 1951 में हुआ था, जब मलकापुर मध्यप्रदेश राज्य में आता था. इस चुनाव में कांग्रेस के भीकू फकीरा शेलके विजयी हुए थे. 1957 में हुए दूसरे चुनाव में भी कांग्रेस के ही भीकू फकीरा शेलके विजयी हुए थे. तब मलकापुर विधानसभा बॉम्बे स्टेट में जा चुकी थी.
तीसरे विधानसभा चुनाव के समय महाराष्ट्र राज्य का निर्माण हो चुका था. इस बार कांग्रेस के भीकू फकीरा पाटिल एवं भारतीय जनसंघ के वामन तुकाराम नाफड़े के बीच मुकाबला हुआ. पाटिल को 22808 तथा नाफड़े को 15281 वोट मिले थे. भीकू पाटिल 7527 वोटों से जीते थे. कांग्रेस को टक्कर देने के लिए एक मजबूत पार्टी के रूप में जनसंघ उभर कर आई थी.
1967 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला कांग्रेस के ए.एस. देशमुख एवं भारतीय जनसंघ के अजरुन वानखड़े के बीच हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस के देशमुख को 26733 तथा जनसंघ के वानखड़े को 22402 वोट मिले. देशमुख 4331 वोटों से जीते थे. पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस को लगभग 3 हजार वोटों का नुकसान हुआ था. 1972 में भारतीय जनसंघ के अजरुन वानखड़े एवं कांग्रेस के जाधव के बीच मुकाबला हुआ.
यहां पर जनसंघ ने कांग्रेस को झटका देते हुए जीत हासिल की थी. वानखड़े को 29812 तथा जाधव को 28635 वोट मिले थे. हालांकि जीत का अंतर बहुत ही कम था. कांग्रेस को केवल 1177 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. 1978 में जनता पार्टी के अजरुन वानखड़े एवं कांग्रेस (आइ.) के विनयकुमार मुंधड़ा के बीच मुकाबला हुआ. वानखड़े को 34663 वोट तथा मुंधड़ा को 29406 वोट मिले. वानखड़े 5257 वोटों से जीते थे.
यहां पर जनसंघ समर्थित जनता पार्टी की जीत का अंतर अधिक था. 1980 में भाजपा की ओर से चैनसुख संचेती को मैदान में उतारा गया. संचेती का यह पहला ही चुनाव था. उनके विरोध में कांग्रेस (आइ.) के विनयकुमार मुंधड़ा ही थे. इस बार भी भाजपा ने जीत हासिल की थी, जिसमें चैनसुख संचेती विजयी हुए थे.
संचेती को 23581 तथा मुंधड़ा को 19674 वोट मिले थे. संचेती 3907 वोटों से जीते थे. 1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा से यह सीट छीन ली थी. इस चुनाव में कांग्रेस के रामदास वसंतराव शिंदे तथा भाजपा के अजरुन वानखड़े के बीच मुकाबला हुआ. शिंदे को 33042 तथा वानखड़े को 31356 वोट मिले थे. यहां कांग्रेस काफी कम अंतर से यानी 1686 वोटों से जीती थी.
1990 के चुनाव में भाजपा की ओर से दयाराम तांगड़े तथा कांग्रेस की ओर से दिनकर कोलते चुनावी मैदान में थे. भाजपा के तांगड़े को 33578 तथा कोलते को 30578 वोट मिले थे. तांगड़े 3000 वोटों से जीते थे. 1995 के चुनाव में नया मोड़ आ गया था. यहां पर भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज चैनसुख संचेती ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उनका मुकाबला कांग्रेस के फुंडकर, भाजपा के तांगडे एवं जनता दल के साहबराव मोरे से हुआ.
इस चुनाव में पहली बार कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गई. संचेती ने अपने दमखम के सहारे मोरे को पराजित कर दिया. संचेती को 39492 तथा मोरे को 26472 वोट मिले. संचेती 13020 भारी वोटों से जीते थे. हालांकि बाद में उन्होंने भाजपा में प्रवेश ले लिया था. 1999 के चुनाव में भाजपा ने अधिकृत तौर पर चैनसुख संचेती को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा. उनके खिलाफ कांग्रेस के हाजी रशीदखां जमादार थे.
यहां भी संचेती ने जीत हासिल की़ संचेती को 47192 वोट मिले तथा हाजी रशीदखां जमादार को 30346 वोट मिले. संचेती ने 16846 वोटों से बम्पर जीत हासिल की़ 2004 के चुनाव में भी भाजपा ने चैनसुख संचेती को उतारा. उनके खिलाफ कांग्रेस के डॉ. अरविंद कोलते थे. पिछली बार की तरह इस बार भी संचेती ने अपनी जीत बनाए रखी.
संचेती को 48719 वोट तथा कोलते को 45898 वोट मिले. इस बार संचेती का कांटे का मुकाबला हुआ तथा बहुत ही कम अंतर यानी 2821 वोटों से जीत हासिल हुई. 2009 के चुनाव में भाजपा के चैनसुख संचेती एवं कांग्रेस के शिवचंद्र तायड़े के बीच मुकाबला हुआ. संचेती को 61177 वोट तथा तायड़े को 49190 वोट मिले. संचेती 11987 वोटों से जीते. जीत का यह सिलसिला संचेती ने लगातार चौथी बार भी बनाए रखा.
2014 के मोदी लहर में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अरविंद कोलते को पराजित किया. संचेती को 75965 वोट तथा कोलते को 49019 वोट मिले. संचेती ने कोलते को 26946 वोटों के भारी अंतर से पराजित किया. कुल मिलाकर संचेती 5 बार भाजपा से तथा एक बार निर्दलीय विजयी हुए हैं.
यानी 14 बार हुए चुनाव में अकेले चैनसुख संचेती 6 बार विधायक रहे हैं. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के राजेश एकड़े से है. अब देखना यह है कि- संचेती अपनी जीत की परंपरा बनाए रखते हैं, या फिर एकड़े मलकापुर विधानसभा पर कब्जा जमाते हैं.