महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में दसवीं कक्षा तक मराठी अनिवार्य, कानून तोड़ने वालों पर लगेगा एक लाख रुपये का दंड
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 27, 2020 08:35 AM2020-02-27T08:35:42+5:302020-02-27T08:35:42+5:30
महाराष्ट्र राज्य के मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानपरिषद में 'महाराष्ट्र स्कूलों में मराठी भाषा का अनिवार्य अध्यापन और अध्ययन विधेयक 2020' प्रस्तुत किया. इस विधेयक को आम सहमति से पारित किया गया.
महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में दसवीं कक्षा तक 'मराठी भाषा' विषय अनिवार्य करने संबंधी विधेयक विधानपरिषद में मंजूर किया गया. इस विधेयक को आज विधानसभा में रखा जाएगा. तब यह कानून की शक्ल ले लेगा. इसका उल्लंघन करने पर एक लाख रु. का दंड वसूला जाएगा. राज्य में पहले से आठवीं कक्षा तक मराठी भाषा विषय अनिवार्य था.
राज्य के मराठी भाषा मंत्री सुभाष देसाई ने विधानपरिषद में 'महाराष्ट्र स्कूलों में मराठी भाषा का अनिवार्य अध्यापन और अध्ययन विधेयक 2020' प्रस्तुत किया. इस विधेयक को आम सहमति से पारित किया गया. विधेयक में शैक्षिक वर्ष 2020-21 से चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूलों में कक्षा पहली से दसवीं तक मराठी पढ़ाए जाने का प्रावधान किया गया है.
अगले शैक्षिक वर्ष से कक्षा पहली और छठी कक्षा के लिए मराठी भाषा विषय अनिवार्य किया जाएगा. इसके बाद हर साल अगली कक्षा के लिए मराठी पढ़ाई जाएगी. वर्ष 2024-25 में कक्षा पांचवीं और दसवीं के लिए मराठी अनिवार्य की जाएगी.
विधेयक में कहा गया है कि अंग्रेजी, हिन्दी या अन्य किसी शैक्षिक माध्यम के स्कूल में मराठी अनिवार्य की जाएगी. इस कानून का भंग करने पर स्कूल के प्रबंध निदेशक या जिम्मेदार व्यक्ति को एक लाख रु. का दंड देना होगा. साथ ही, किसी भी स्कूल में मराठी बोलने पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष पाबंदी लगाई नहीं जा सकती है. इस आशय की कोई सूचना लगाना गैर-कानूनी होगा.
राज्य के सभी सरकारी, अर्धसरकारी, निजी, केंद्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा मंडलों के सभी स्कूलों में यह कानून लागू होगा. कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगना और गुजरात में संबंधित राज्यों की भाषा अनिवार्य की गई है.