महाराष्ट्र: भंडारा हादसे के बाद हो रहे हैं कई खुलासे, 506 पुराने अस्पतालों में फायर सेफ्टी ही नहीं!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 13, 2021 07:31 AM2021-01-13T07:31:12+5:302021-01-13T07:50:47+5:30
भंडारा की घटना के बाद इस बार के खुलासे हो रहे हैं कि कैसे फायर सेफ्टी के मुद्दे पर लगातार लापरवाही हो रही थी. कई बार इसे लेकर जन स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी सूचनाएं भेजी गई लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया.
अतुल कुलकर्णी
मुंबई: जन स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आनेवाले 506 पुराने अस्पतालों के निर्माणकार्य में फायर सेफ्टी का समावेश नहीं होने की बात स्वास्थ्य सहसंचालक डॉ. नितिन अंबाडेकर ने एक पत्र में स्वीकार की थी. (वह पत्र 'लोकमत समाचार' के पास है.) इसलिए उन्होंने फायर सेफ्टी विभाग के संचालकों को 21 दिसंबर 2020 को संबंधित अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट करने और उसकी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे.
जन स्वास्थ्य विभाग वर्ष 2010 से लगातार महाराष्ट्र फायर प्रिवेंशन एंड लाइफ सेफ्टी मेजर कानून के प्रावधानों और मार्गदर्शक सूचनाएं प्रकाशित करता आ रहा है, लेकिन अब यह सवाल उठ रहा है कि पुराने अस्पतालों में फायर सेफ्टी का समावेश नहीं होने की जानकारी विभाग को क्या 10 वर्षों के बाद मिली है.
जन स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाले अंधेरी मरोल स्थित ईएसआईसी अस्पताल में 17 दिसंबर 2018 को आग लगी थी. इस अग्निकांड में 11 लोग मारे गए थे. इसके बाद आलोचनाओं का दौर शुरू होते ही 29 दिसंबर 2018 को अंबाडेकर ने इसके प्रावधानों और सूचनाओं के संदर्भ में स्वास्थ्य विभाग की सभी संस्थाओं को पत्र भेजे थे.
उन्होंने यह भी निर्देश दिया गया था कि महानगरपालिका और नगरपालिका स्तर पर सभी अस्पतालों को अग्निशमन दल के अधिकारियों की मदद से मॉक ड्रिल लेना अनिवार्य है.
इस पर पूर्व चिकित्सा सचिव महेश झगडे ने पूछा कि क्या तब उन्हें पुराने अस्पतालों के निर्माणकार्य में फायर सेफ्टी के नहीं होने का पता नहीं था. भंडारा की घटना नौ जनवरी को हुई. उसी दिन की तारीख डालकर स्वास्थ्य सेवा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के आयुक्तों ने जिला अस्पतालों और सभी जिला परिषदों को फिर एक बार पत्र भेजा.
इस पत्र पर आवक-जावक क्रमांक का जिक्र नहीं है. नौ तारीख को घटना घटी और उसी दिन की तारीख डालकर ये पत्र भेजे गए हैं. इस पत्र में राज्य के सभी अस्पतालों का फायर सेफ्टी ऑडिट तत्काल करने और 21 जनवरी तक इसकी रिपोर्ट आयुक्तालय को पेश करने के निर्देश दिए गए हैं.
विभाग ने 10 मासूमों की जान जाने के बाद यह पत्र जारी किया. इसके पहले भी ऐसे सूचनाएं बार-बार भेजी गईं. लेकिन, इस पर अमल नहीं हुआ.
'लोकमत समाचार' से बातचीत में महेश झगडे ने बताया, ''कोई भी सरकार आकलन और समीक्षा के मुताबिक काम करती है. जो स्वास्थ्य सचिव सुविधाओं की समीक्षा ही नहीं करते उन्हें लोकसेवक कैसे कहा जाए? फायर सेफ्टी एक मुद्दा बन गया है. दवाओं की गुणवत्ता, अस्पतालों की व्यवस्था, स्वच्छता जैसी सुविधाओं को लेकर पिछले 10-12 वर्षों में कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है.
महाराष्ट्र: इन इमारतों के फायर सेफ्टी ऑडिट होंगे
जिला अस्पताल - 23
सामान्य अस्पताल - 8
100 बिस्तरों का उप-जिला अस्पताल - 31
50 बिस्तरों का उप जिला अस्पताल - 60
महिला अस्पताल - 13
ग्रामीण अस्पताल - 364
विभागीय संदर्भ सेवा अस्पताल - 2
अस्थिरोग अस्पताल - 1
प्रादेशिक मनोरोग अस्पताल - 4