महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: प्लेनपट्टा के वोटर ही इस बार बनाएंगे मेलघाट का सिकंदर, जानें पूरा समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 17, 2019 08:37 PM2019-09-17T20:37:02+5:302019-09-17T20:52:43+5:30
दयाराम पटेल के पुत्र राजकुमार ने 1999 तथा 2004 तक मेलघाट विस क्षेत्र का नेतृत्व किया. इसके बाद धारणी के रामू पटेल ने तीन बार विस का नेतृत्व किया. 1990 में चिखलदरा को पहली बार नेतृत्व का मौका मिला.
श्यामकांत पांडे
महाराष्ट में विधानसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है.इसको लेकर जबर्दस्त राजनीतिक उठापटक दिख रही है. मेलघाट की राजनीति में धारणी तहसील की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है.
प्लेनपट्टा के वोटर ही इस बार मेलघाट का सिकंदर तय करेंगे. 1967 से मेलघाट विस सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने से अब तक आठ विधायकों ने यहां का प्रतिनिधित्व किया. मेलघाट में धारणी और चिखलदरा आदिवासी क्षेत्र है, लेकिन चुनाव में अचलपुर के गैर आदिवासी वोटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
अभी तक हुए 13 विस चुनावों में ङिाल्पी गांव ने 1967, 1980, 1999 तथा 2004 में नेतृत्व किया था. आरंभ से ही अनुसूचित जनजाति के रूप में आरक्षित सीट घोषित होने के बाद ङिाल्पी के दयाराम पटेल विधायक चुने गए. इसके बाद उनके भाई नारायण पटेल ने 1980 में नेतृत्व किया.
दयाराम पटेल के पुत्र राजकुमार ने 1999 तथा 2004 तक मेलघाट विस क्षेत्र का नेतृत्व किया. इसके बाद धारणी के रामू पटेल ने तीन बार विस का नेतृत्व किया. 1990 में चिखलदरा को पहली बार नेतृत्व का मौका मिला. कांग्रेस के तुलसीराम काले विधायक बने. इसके बाद भाजपा के पटल्या लंगड़ा मावस्कर उर्फ पटल्या गुरुजी ने 1995 में कांग्रेस को पराजित कर भाजपा को जीत दिलाई. गुरुजी के बाद 1999 और 2004 में राजकुमार पटेल ने दो बार भाजपा के विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया. 2009 में तु.रू. काले के पुत्र केवलराम काले को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा के राजकुमार पटेल को हैट्रिक से रोका.
2014 में त्रिकोणीय मुकाबला रहा
मेलघाट विस क्षेत्र में 2014 का चुनाव त्रिकोणीय रहा. इस चुनाव में कांग्रेस ने केवलराम काले, राकांपा ने राजकुमार पटेल तथा भाजपा ने नए उम्मीदवार प्रभुदास भिलावेकर को मैदान में उतारा. भाजपा के प्रभुदास भिलावेकर ने जीत हासिल कर सभी को चकित कर दिया. कांग्रेस के काले तीसरे स्थान पर रहे. अब 2019 के चुनाव में कौन बाजीगर साबित होता है, इसको लेकर चर्चाओं का दौर जारी है. फिलहाल, अभी उम्मीदवार ही तय नहीं हो पाए हैं, लेकिन दावे सभी कर रहे हैं. भाजपा भिलावेकर को दोहराती है अथवा नया चेहरा उतारती है, इस पर भी सभी की निगाहें लगी हुई हैं.