Maharashtra Assembly Election 2019: महिला प्रतिनिधियों के मामले में पिछड़ा महाराष्ट्र, आधी आबादी का महज 7% प्रतिनिधित्व
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 16, 2019 03:44 PM2019-09-16T15:44:28+5:302019-09-16T15:44:28+5:30
राज्य की विधानसभा में बेहद कम महिला विधायक हैं. वर्ष 2014 के चुनाव में महज 20 महिलाएं विधानसभा पहुंचीं. 288 सदस्यों वाली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिशत केवल सात है.
असिफ कुरणो
स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में भले ही 50 प्रतिशत आरक्षण के कारण महिला राज की बात होने लगी हो लेकिन, लोकसभा, विधानसभा में अब भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नाममात्र का है. प्रगतिशील राज्य माने जानेवाला महाराष्ट्र भी महिला प्रतिनिधियों के मामले में पिछड़ा है.
राज्य की विधानसभा में बेहद कम महिला विधायक हैं. वर्ष 2014 के चुनाव में महज 20 महिलाएं विधानसभा पहुंचीं. 288 सदस्यों वाली विधानसभा में महिलाओं का प्रतिशत केवल सात है.
क्षेत्र के हिसाब से देखें तो विधानसभा में पश्चिम महाराष्ट्र और उत्तर महाराष्ट्र से पांच-पांच विधायक वहीं विदर्भ से महज एक महिला विधायक है. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में 277 महिलाओं ने अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी. इनमें से 237 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई थी.
40 महिला उम्मीदवारों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को टक्कर दी थी इनमें से 20 महिलाएं चुनाव जीतकर सदन पहुंचीं. चुनाव जीतने वाली महिलाओं में भाजपा की 12 महिलाएं थीं वहीं कांग्रेस से 5 महिलाएं विजय हुईं. राकांपा से तीन महिलाओं ने विजय पताका फहराया था जबकि शिवसेना से एक भी महिला ने विजयश्री का वरण नहीं किया.
1999 के बाद के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो महिलाओं की विधानसभा में बेहद कम संख्या रही. महिलाओं को उम्मीदवारी मिलने से लेकर चुनाव लड़ने तक हर मोचरे पर संघर्ष करना पड़ा है. सभी राजनीतिक दलों ने महिलाओं को टिकट देने के मामले में अपना हाथ खींचकर रखा.
वर्ष 1999 में 86, 2004 में 157, 2009 में 211 और वर्ष 2014 में 277 महिलाओं ने चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमाया. इस बीच 199, 2004, 2009 में 12-12 तथा 2014 में 20 महिलाएं चुनाव जीतकर विधायक बनीं. कई सीटों पर महिला उम्मीदवारों ने अपने प्रतिद्वंदी नेता को चुनाव मैदान में धूल चटाई. विदर्भ से महज एक (कांग्रेस की यशोमति ठाकुर, तिवसा सीट) विधायक हैं
राजनेताओं के वारिसों को मौका
2014 के चुनाव में जीतने वाली 20 महिला उम्मीदवारों में बहुत सी ऐसी हैं जिनके परिवार की पृष्ठभूमि राजनीतिक थी जिसका सीधा-सीधा लाभ उन्हें चुनाव जीतने में मिला.