एक्सक्लूसिव इंटरव्यू शरद पवारः पीएम मोदी को समर्थन 'आउट ऑफ क्वेश्चन', अब तक 14 चुनाव लड़ चुका हूं और सभी जीते हैं
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 18, 2019 09:01 AM2019-04-18T09:01:27+5:302019-04-18T09:16:09+5:30
राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद नरेंद्र मोदी या भाजपा का साथ देने की किसी भी संभावना को 'आउट ऑफ क्वेश्चन' करार दिया है. 'लोकमत' से विशेष बातचीत में पवार ने चुनाव परिणाम बाद मिली-जुली सरकार की संभावना पर कहा कि 2004 में जो हुआ 2019 में क्यों नहीं हो सकता?
सुकृत करंदीकर
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा को दिए गए समर्थन को अपनी 'राजनीतिक गुगली' करार देते हुए वरिष्ठ नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद नरेंद्र मोदी या भाजपा का साथ देने की किसी भी संभावना को 'आउट ऑफ क्वेश्चन' करार दिया है. 'लोकमत' से विशेष बातचीत में पवार ने चुनाव परिणाम बाद मिली-जुली सरकार की संभावना पर कहा कि 2004 में जो हुआ 2019 में क्यों नहीं हो सकता?
प्रश्नः पीएम पद के प्रत्याशी मोदी या राहुल, क्या यह सवाल महत्वपूर्ण है?
जवाबः राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए किसी ने भी 'प्रोजेक्ट' नहीं किया है. वह खुद कह चुके हैं कि वह इस स्पर्धा में नहीं हैं. फिर राहुल का नाम क्यों लिया जा रहा है? यह मोदी और मोदीभक्तों की रणनीति का हिस्सा है. विपक्ष का नेता कौन का सवाल पूछने वालों को याद रखना चाहिए कि 2004 का चुनाव हमने मिलकर लड़ा था और परिणामों के बाद यूपीए की स्थापना हुई थी. तब डॉ. मनमोहन सिंह का चयन हुआ था और देश की विदेशों में भी इज्जत बढ़ी थी. 2004 में जो हुआ 2019 में क्यों नहीं हो सकता?
प्रश्नः भाजपा को हटाने की बात करने वाले दलों की विभिन्न राज्यों में एक-दूसरे से लड़ाई मतदाताओं को भ्रमित नहीं करेगी?
जवाबः 2004 में यही हुआ था. तब 'अच्छे दिन' की जगह 'इंडिया शाइनिंग' था. तब अटलबिहारी वाजपेयी, ज्यादा लोकप्रिय, ज्यादा स्वीकार्य और विवादहीन प्रधानमंत्री थे. ऐसे में भी लोगों ने परिवर्तन तो किया ही न? बदलाव के दौरान किसी भी पक्ष को बहुमत नहीं दिया, लेकिन सभी पक्षों ने मिलकर एक स्थिर सरकार दी. 2004 के अच्छे अनुभव के कारण 2009 में गठबंधन की सीटों में और इजाफा हुआ था.
प्रश्नः मतलब कांग्रेस-भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों की बजाय क्षेत्रीय दलों के गठबंधन की सरकारें देश के लिए ज्यादा उपयुक्त हैं?
जवाबः यह वस्तुस्थिति है. इसे कैसे नकारा जा सकता है? देश की तरक्की में इससे कोई मुश्किल पैदा नहीं होती. बात केवल एक ही है कि इस सरकार का कार्यक्रम साफ-सुथरा होना चाहिए.
प्रश्नः विरोधी प्रचार कर रहे हैं कि पवार ने माढा से पलायन कर दिया. राज्य की हर सभा में पीएम का निशाना आप पर ही है. क्या कहेंगे?
जवाबः अब तक 14 चुनाव लड़ चुका हूं और सभी जीते हैं. 2014 में माढा से साढ़े तीन लाख वोट से जीतने वाला व्यक्ति पलायन कर सकता है क्या? प्रधानमंत्री को ऐसी बचकानी बयानबाजी से बचना चाहिए. पद की प्रतिष्ठा का ध्यान रखना चाहिए. वह राज्य की लगातार सात सभाओं में मुझ पर निशाना साध चुके हैं. पीएम को मेरी ओर ध्यान देना पड़ रहा है, इसी से बात को समझ जाइए.
प्रश्नः 80-90 के दशक में पवार की चेतावनी का जो दबदबा था, क्या वो कम (उदाहरणार्थ अहमदनगर) हो गया है?
जवाबः कुछ बातें सत्ता का दुरुपयोग करके हो रही हैं. व्यक्तिगत हमले हो रहे हैं. राज्य की कुछ महानगर पालिकाओं में कांग्रेस-भाजपा, शिवसेना-कांग्रेस, भाजपा-राकांपा साथ हैं. यह स्थानीय राजनीति है जिसमें हम नहीं उलझते. बात जब राज्य या देश की आती है तो हम अपनी भूमिका पर मजबूत हैं.
प्रश्नः 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में आपने बिना मांगे ही भाजपा को समर्थन दे डाला था. ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी को जरूरत पड़ी तो इसी की पुनरावृत्ति हो सकती है...
जवाबः 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना अलग-अलग लड़े थे. दोनों कांग्रेस भी अलग-अलग मैदान में थी. परिणाम आने के बाद हमारा स्पष्ट मकसद था कि भाजपा-शिवसेना साथ न आएं. मुझे पता था कि मुख्यमंत्री को किसी भी हालात में शिवसेना का ही साथ चाहिए था. मुझे यह भी पता था कि उनके दल में राष्ट्रीय नेतृत्व करने वाले जो दो-तीन लोग थे, उन्हें यह बिलकुल मंजूर नहीं था. अरसा पहले इनमें से कुछ से बातचीत के कारण मुझे इस बात की कल्पना थी. आपको याद होगा कि सरकार बनी तब छह महीने तक शिवसेना बाहर थी. भाजपा को हमसे उम्मीद थी. हमारा समर्थन एक 'राजनीतिक गुगली'थी. 2019 में भाजपा को समर्थन 'आउट ऑफ क्वेश्चन' है.