लोकसभा चुनावः बारामती रैली रद्द कर प्रधानमंत्री ने NCP से जताया प्रेम, पवार इस समय नहीं हो रहे मोहित
By हरीश गुप्ता | Published: April 22, 2019 08:14 AM2019-04-22T08:14:25+5:302019-04-22T08:14:25+5:30
लोकसभा चुनावः बारामती में 23 अप्रैल को चुनाव होना है. वास्तव में भाजपा का स्थानीय नेतृत्व मोदी की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि पवार के गढ़ को ध्वस्त किया जा सके. चूंकि प्रधानमंत्री महाराष्ट्र में अपनी रैलियों में वंशवाद को लेकर पवार को निशाना बना रहे हैं, इसलिए उम्मीद थी कि वह बारामती जाएंगे. पवार परिवार के चार सदस्य अब सक्रिय राजनीति में हैं, जिनमें उनकी बेटी सुप्रिया सुले और पोते भतीजे पर्थ पवार शामिल हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक बारामती रैली रद्द करके राकांपा प्रमुख शरद पवार को स्पष्ट संकेत दिया है कि भाजपा चुनाव के बाद उनके साथ समझौता करने से परहेज नहीं करेगी. पवार की बेटी सुप्रिया सुले भाजपा की कंचन राहुल कुल के खिलाफ मैदान में हैं जो दौंड से राष्ट्रीय समाज पक्ष के विधायक की पत्नी हैं. कंचन भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में हैं क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी को वहां कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं मिला.
मोदी की जगह वहां भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को रैली को संबोधित करने के लिए भेजा गया था. बारामती में 23 अप्रैल को चुनाव होना है. वास्तव में भाजपा का स्थानीय नेतृत्व मोदी की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि पवार के गढ़ को ध्वस्त किया जा सके. चूंकि प्रधानमंत्री महाराष्ट्र में अपनी रैलियों में वंशवाद को लेकर पवार को निशाना बना रहे हैं, इसलिए उम्मीद थी कि वह बारामती जाएंगे. पवार परिवार के चार सदस्य अब सक्रिय राजनीति में हैं, जिनमें उनकी बेटी सुप्रिया सुले और पोते भतीजे पर्थ पवार शामिल हैं.
महाराष्ट्र की पिछली सात रैलियों में मोदी के निशान पर शरद पवार ही थे. इससे राकांपा नेता कुछ हद तक परेशान भी हुए, लेकिन मोदी को जानने वाले कहते हैं कि उन्होंने यूटर्न बेवजह नहीं लिया है. प्रधानमंत्री को यह प्रतिक्रिया मिली है कि राकांपा महाराष्ट्र में 9-12 सीटें पा सकती हैं. त्रिशंकु सदन की स्थिति में उन्हें अपने खेमे से बाहर बैठे लोगों के समर्थन की आवश्यकता होगी.
यह चौंकाने वाला रहा कि प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पवार पर तीखा हमला नहीं बोला, बल्कि केवल दो बार इसका उल्लेख किया. उन्होंने पवार के लातूर में कांग्रेस के साथ जाने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह विभाजनकारी राजनीतिक दलों के साथ खड़े होने के लिए उनके कद के अनुरूप है.
वहीं, अहमदनगर में उन्होंने पवार को राष्ट्रवादी का तमगा देने की कोशिश करते हुए कहा, ''जब जम्मू-कश्मीर में दो प्रधानमंत्री की बात हो रही है, तो आप चुप कैसे रह सकते हैं? कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद आप देश को एक विदेशी की नजर से देख रहे हैं. आप रात में कैसे सो सकते हैं?'' जाहिर सी बात है कि मोदी उन्हें वहां कुरेद रहे हैं, जहां उन्हें दर्द होता है. हालांकि पवार ने उनको कोई जवाब नहीं दिया.
संप्रग के रथ पर मजबूती से कर रहे हैं सफर
प्रधानमंत्री मोदी ने जब बारामती की रैली रद्द की, तो पवार ने उन पर निशाना साधते हुए कहा, ''मैं प्रधानमंत्री से डरा हुआ हूं कि वह आगे क्या करेंगे?'' सूत्रों का कहना है कि पवार अब संप्रग के रथ पर मजबूती से सवारी कर रहे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी फोन पर उनसे नियमित रूप से बात कर रहे हैं. हालांकि एक बार उन्होंने कहा था, ''उन्होंने मुझसे राजनीति सीखी है, लेकिन आजकल मैं बहुत भयभीत हूं क्योंकि मुझे नहीं पता कि यह आदमी क्या करेगा.'' निश्चित तौर पर पवार 2019 में मोदी के जाल में नहीं फंस रहे हैं. पवार 2014 में उनके जाल में फंस गए थे, जब उन्होंने विधानसभा चुनाव के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार को समर्थन देने की घोषणा की थी.