महाराष्ट्र: मार्कंडेश्वर में जमीन में दबे मिले और पांच मंदिर, एएसआई जुटी काम में

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: March 21, 2019 02:02 PM2019-03-21T14:02:40+5:302019-03-21T14:11:04+5:30

वर्तमान में संरक्षण के लिए पुरानी पद्धति के तहत गुड़, चूना, रेत, ईंट का चूरा (सुर्खी) का गारा तैयार किया जा रहा है. इसे तैयार करने में ही करीब सात दिन लग जाते हैं.

Five temples found in Markanda ASI engaged in preservation of Markandeshwar temple | महाराष्ट्र: मार्कंडेश्वर में जमीन में दबे मिले और पांच मंदिर, एएसआई जुटी काम में

महाराष्ट्र: मार्कंडेश्वर में जमीन में दबे मिले और पांच मंदिर, एएसआई जुटी काम में

वसीम कुरैशी

विदर्भ की काशी और विदर्भ के खजुराहो के नाम से प्रसिद्ध गढ़चिरोली के मार्कंडेश्वर मंदिर परिसर में और नए पांच मंदिर खोजे गए हैं. इसके अलावा जमीन के ऊपर मौजूद करीब 1300 साल पहले बने परिसर में मौजूदा मंदिरों का संरक्षण कार्य किया जा रहा है. इसके लिए उसी दौर की पद्धति अपनाई जा रही है. वैनगंगा नदी के किनारे मौजूद इस मंदिर के शिखर कुछ वर्ष पहले बिजली गिरने की वजह से क्षतिग्रस्त हो गए थे. 

साल 1965 के आसपास इसका सुधार कार्य किया गया था लेकिन इसमें जुड़ाई के लिए सीमेंट का उपयोग किया गया था. अधिकारियों के मुताबिक सीमेंट की जुड़ाई की 60 से 80 साल तक की उम्र रहती है. इसी वजह से वर्तमान में संरक्षण के लिए पुरानी पद्धति के तहत गुड़, चूना, रेत, ईंट का चूरा (सुर्खी) का गारा तैयार किया जा रहा है. इसे तैयार करने में ही करीब सात दिन लग जाते हैं. 

इस गारे से जुड़ाई लगभग 300 साल तक टिकी रह सकती है. विदर्भ में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) 25 लाख रुपए की लागत से मंदिर परिसर का संरक्षण कार्य कर रहा है. इस एतिहासिक व संरक्षित स्मारक की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एएसआई ने मंदिर के एक-एक पत्थर को एक नंबर दिया है.

स्वच्छता की अपील

एएसआई के अधिकारी इजहार हाशमी मे कहा कि वर्षों बाद मंदिर के पत्थऱों की सफाई का कार्य भी किया जा रहा है। इस मंदिर को बनाने में करीब 300 साल का अरसा लगा है। विदर्भ में यह परिसर काफी खास है। इसलिए इसके संरक्षण में स्थानीय नागरिकों का भी सहयोग आवश्यक है। मंदिर परिसर के आसपास किसी तरह से कोई वस्तु नहीं जलानी जानी चाहिए। सटकर नदी भी है इसलिए सफाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

रोचक तथ्य

- बिट्रिश खोजकर्ता अलेक्जेंड कनिंघम ने मंदिर की खोज करते हुए 1924 में इसकी शैली सहित पूरा डॉक्युमेंटेशन किया था और संरक्षण की सिफारिश की थी।

- 11 अप्रैल 1925 को इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया।

- गर्भगृह में दबा हुआ शिवलिंग भी एसआई ने निकाला है और इसके फ्लोर का काम किया जा रहा है।

- पुरानी स्टाइल में ही पत्थरों की नक्काशी की जा रही है।

- मूर्तियों का डॉक्यूमेंटेशन भी किया जा रहा है।

Web Title: Five temples found in Markanda ASI engaged in preservation of Markandeshwar temple

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