महाराष्ट्र: 'संस्कृत' में ही संवाद करता है यह परिवार
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 7, 2019 08:06 AM2019-07-07T08:06:53+5:302019-07-07T08:06:53+5:30
अधि. मल्हार कहते हैं कि मराठी उनके परिवार की मातृभाषा तो संस्कृत पितृभाषा है. लेकिन अड़चन बेटों की शादी के बाद हुई. प्राध्यापक ने बहुओं पर कोई बंधन नहीं डाला. लेकिन अधि. मल्हार की पत्नी शिल्पा व शशांक की पत्नी स्वर्णा ने इस भाषा को स्वीकार कर लिया.
प्रा. विश्वरूपे के दो बेटे हैं. वे जब भी उनके साथ बाहर जाते थे तो संस्कृत में ही संवाद साधते थे. इस प्रयास में उनकी पत्नी नंदा ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया. बच्चों को बाहर दिक्कत न हो इसलिए वे मराठी में ही बोलती थीं. ऐसे में दोनों भाषाओं में समन्वय स्थापित हो गया. उनके पुत्र अधि. मल्हार व शशांक पिता से मिले संस्कारों की वजह से बेहिचक संस्कृत में संवाद करते हैं. उन्हें लगता ही नहीं कि वे कोई दूसरी भाषा बोल रहे हैं.
अधि. मल्हार कहते हैं कि मराठी उनके परिवार की मातृभाषा तो संस्कृत पितृभाषा है. लेकिन अड़चन बेटों की शादी के बाद हुई. प्राध्यापक ने बहुओं पर कोई बंधन नहीं डाला. लेकिन अधि. मल्हार की पत्नी शिल्पा व शशांक की पत्नी स्वर्णा ने इस भाषा को स्वीकार कर लिया. वे भी इस भाषा के रंग में रंग गईं. एक बहू ने तो विवाह के बाद संस्कृत में एम. ए. कर डाला. आज उनके पुत्र अधि. विक्रांत, पिनाक व डॉ. ऐश्वर्या भी बड़ी सहजता से संस्कृत में संवाद करते हैं.
यह परिवार संस्कृत बोलने की वजह से कई मजेदार किस्सों का सक्षी बना है. एक बार प्रा. विश्वरूपे की पोती ऐश्वर्या ने गर्दन में दर्द की वजह से स्कूृल की टीचर से कहा 'मम ग्रीवाय: पीड़ा भवति'. तब शिक्षिका ने घर फोन कर पूछा था कि क्या हुआ. बहरहाल संस्कृत बोलने की वजह से यह परिवार आकर्षण का केंद्र भी बना है.