'महाराष्ट्र में विदेशी शराब पर छूट है, देशी पर क्यों नहीं', उद्धव सरकार से CIABC ने पूछा
By एसके गुप्ता | Published: February 15, 2020 04:00 PM2020-02-15T16:00:51+5:302020-02-15T16:00:51+5:30
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने महाराष्ट्र के आबाकारी मंत्री दिलीप वासले पाटिल को लिखे पत्र में कहा है कि उनकी फेडरेशन में देश की प्रमुख शराब निर्माता कंपनियां सदस्य हैं।
महाराष्ट्र में पड़ोसी राज्यों की तुलना में शराब के दाम ज्यादा हैं। शराब के दामों में कमी को लेकर कॉन्फडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहलिक बेवरेज कंपनिज (सीआईएबीसी) ने महाराष्ट्र सरकार को एक पत्र लिखा है। इसमें महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि देश की शराब निर्माता कंपनियों को हैरानी हो रही है कि राज्य सरकार विदेशों से आयात होने वाली शराब पर तो एक्साइज ड्यूटी में छूट दे रही है लेकिन स्वदेश निर्मित शराब (आईएमएफएल) पर कोई छूट क्यों नहीं है।
पत्र में सरकार को यह भी बताया गया है कि शराब उद्योग से सरकार को 125 हजार करोड रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। जिससे 50 लाख किसान और 20 लाख लोगों की जीविका भी जुडी है। इसके अलावा स्वदेशी शराब निर्माता कंपनियों का राज्य का राजस्व बढ़ाने में अहम योगदान है।
सीआईएबीसी ने उद्धव सराकर से की ये मांग
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने महाराष्ट्र के आबाकारी मंत्री दिलीप वासले पाटिल को लिखे पत्र में कहा है कि उनकी फेडरेशन में देश की प्रमुख शराब निर्माता कंपनियां सदस्य हैं। उन्हें मीडिया में आ रही खबरों से जानकारी मिली है कि सरकार राजस्व बढाने के लिए शराब के दाम घटाने पर विचार कर रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि महाराष्ट्र सरकार विदेशों से आयात होने वाली शराब के स्थान पर स्वेदश निर्मित शराब पर एक्साइज में छूट प्रदान करे। इससे सरकार के राजस्व में बढोत्तरी होगी।
विनोद गिरी ने महाराष्ट्र की प्रधान सचिव (आबकारी) वल्सा नायर सिंह को भी पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पडोसी राज्य पश्चिमी बंगाल और कर्नाटक में बेची जा रही शराब और महाराष्ट्र में बेची जा रही शराब की तुलना कर बताया है कि महाराष्ट्र में शराब के दाम सबसे ज्यादा हैं। सीआईएबीसी ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि सरकार मेक इन इंडिया मुहिम के तहत विदेशी शराब के आयात को बढ़ावा न देकर स्वदेशी शराब उद्योग को बढ़ावा दे।