बंबई हाई कोर्ट ने मां की याचिका को किया खारिज, कहा-बच्चे को दादा-दादी से मिलने नहीं देना गलत

By भाषा | Published: February 19, 2020 03:51 PM2020-02-19T15:51:55+5:302020-02-19T15:51:55+5:30

पिछले महीने महिला को निर्देश दिया कि वह दादा-दादी की उनके पोते से हर शनिवार को अदालत परिसर में मुलाकात कराए, साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

Bombay High Court dismisses mother's plea, says its wrong not to allow child to visit grandparents | बंबई हाई कोर्ट ने मां की याचिका को किया खारिज, कहा-बच्चे को दादा-दादी से मिलने नहीं देना गलत

महिला ने याचिका में कहा कि उसके सास-ससुर का बर्ताव उसके साथ अच्छा नहीं था।

Highlights बंबई HC ने महिला को निर्देश दिया कि वह अपने बेटे को अपने पूर्व के सास-ससुर से हफ्ते में एक बार मिलने दे। अदालत ने कहा कि बच्चे को दादा-दादी या नाना-नानी से नहीं मिलने देना गलत है।

बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई की एक महिला को निर्देश दिया कि वह अपने 10 वर्षीय बेटे को अपने पूर्व के सास-ससुर से हफ्ते में एक बार मिलने दे। साथ ही अदालत ने कहा कि बच्चे को दादा-दादी या नाना-नानी से नहीं मिलने देना गलत है।

न्यायमूर्ति एस.जे. काठावाला और न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावाला की खंडपीठ ने इस हफ्ते की शुरुआत में महिला की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उसने परिवार अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे उसके दिवंगत पति के माता-पिता को अपने पोते से हफ्ते में एक बार या जब भी वे दिल्ली से मुंबई आएं तब मिलने देने का निर्देश दिया गया था।

बच्चे का जन्म दिसंबर 2009 में हुआ था। उसके पिता की फरवरी 2010 में मौत हो गई थी। पति की मौत के बाद महिला अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी। बाद में उसने पुनर्विवाह कर लिया था। महिला ने याचिका में कहा कि उसके सास-ससुर का बर्ताव उसके साथ अच्छा नहीं था। उसने यह भी कहा कि उसका बेटा जन्म के बाद से ही अपने दादा-दादी से नहीं मिला है। लेकिन पीठ ने उसके ये तर्क स्वीकार नहीं किए।

अदालत ने कहा, ‘‘अपीलकर्ता ने कहा कि उसके सास-ससुर का बर्ताव उसके साथ ठीक नहीं था लेकिन बच्चे को उसके दादा-दादी से मिलने से वंचित रखने का यह आधार नहीं हो सकता। बच्चा अभी तक अपने दादा-दादी से नहीं मिला है तो इसके लिए अपीलकर्ता जिम्मेदार है।’’ महिला के पहले के सास-ससुर ने परिवार अदालत से अपने पोते से मिलने देने की अनुमति मांगी थी।

जून 2014 में परिवार अदालत ने उन्हें कहा कि वे जब भी मुंबई आएं, तब अपने पोते से मिल सकते हैं। लेकिन महिला ने आदेश का पालन नहीं किया जिसके बाद बुजुर्ग दंपत्ति ने फिर से परिवार अदालत का दरवाजा खटखटाया और 2014 के आदेश के क्रियान्वयन की मांग की।

इसके बाद अदालत ने पिछले महीने महिला को निर्देश दिया कि वह दादा-दादी की उनके पोते से हर शनिवार को अदालत परिसर में मुलाकात कराए, साथ ही चेतावनी दी कि ऐसा नहीं होने की स्थिति में उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

Web Title: Bombay High Court dismisses mother's plea, says its wrong not to allow child to visit grandparents

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