मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद बीजेपी ने बोला ठाकरे सरकार पर हमला, कहा- मराठाओं के लिए 'काला दिन'
By भाषा | Published: September 10, 2020 07:15 AM2020-09-10T07:15:39+5:302020-09-10T07:15:39+5:30
उच्चतम न्यायालय ने शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को रोक लगा दी, लेकिन स्पष्ट किया कि जिन लोगों को इसका लाभ मिल गया है उन्हें परेशान नहीं किया जायेगा।
मुंबई: शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाये जाने के बाद भाजपा ने राज्य की महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार पर हमला बोला और कहा कि यह मराठाओं के लिए एक ‘‘काला दिन’’ है। महाराष्ट्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने दावा किया कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस वाली महा विकास आघाड़ी सरकार यह सुनिश्चित करने को लेकर ‘‘गंभीर नहीं थी’’ कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष आरक्षण का आधार बना रहे।
उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार पर मामले पर ध्यान नहीं देने का आरोप भी लगाया। उच्चतम न्यायालय ने शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी महाराष्ट्र सरकार के 2018 के कानून के अमल पर बुधवार को रोक लगा दी, लेकिन स्पष्ट किया कि जिन लोगों को इसका लाभ मिल गया है उन्हें परेशान नहीं किया जायेगा।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने याचिकाओं को वृहद पीठ का सौंप दिया, जिसका गठन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे करेंगे। इन याचिकाओं में शिक्षा और रोजगार में मराठा समुदाय के लिये आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती दी गयी है।
पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘एमवीए यह सुनिश्चित नहीं कर सका कि आरक्षण का उच्चतम न्यायालय के समक्ष आधार बना रहे।’’ उन्होंने यह उल्लेख किया कि उच्चतम न्यायालय ने उन याचिकाओं को वृहद पीठ को सौंप दिया है जिसमें आरक्षण का प्रावधान करने संबंधी कानून की वैधता को चुनौती दी गयी है।
उन्होंने कहा कि किसी को पता नहीं कि मामले में फैसला कब आएगा। पाटिल ने कहा कि वृहद पीठ को सौंपे गए मामले पूर्व में वर्षों तक लंबित रहे हैं। भाजपा नेता ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि रोक तब तक जारी रहेगी जब तक पीठ फैसला नहीं सुनाती। अब समुदाय द्वारा विरोध प्रदर्शन करने का भी कोई मतलब नहीं क्योंकि किसी को नहीं पता कि फैसला कब आएगा। इसलिए यह समुदाय के लिए एक ‘काला दिन’ है।’’
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने एमवीए सरकार को बार-बार कहा था कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और इसके लिए अच्छी तरह से कानूनी तैयारी करे। पाटिल ने सवाल करते हुए कहा, ‘‘एमवीए आरक्षण नहीं चाहता था। उनके किस वरिष्ठ नेता ने मामले पर ध्यान दिया? क्या उद्धवजी या शरद पवार ने ध्यान दिया?’’
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बयान में कहा, ‘‘(एमवीए) सरकार आरक्षण को बरकरार रख सकती थी यदि उसने सभी को विश्वास में लेकर कदम उठाया होता। लेकिन यह सरकार इस मुद्दे को लेकर शुरू से ही गंभीर नहीं थी।’’
फडणवीस ने कहा कि भाजपा आरक्षण के लिए किसी भी लड़ाई के वास्ते इस समुदाय के साथ खड़ी है और पार्टी उनके उत्थान के लिए सभी प्रयास करेगी। भाजपा सांसद नारायण राणे ने कहा, ‘‘उन्होंने अपने मामले के लिए कोई नामी वकील नियुक्त नहीं किया क्योंकि वे आरक्षण देने को लेकर इच्छुक नहीं थे।’’