मध्यप्रदेश: आयकर छापे के बाद एक्शन में कमलनाथ सरकार, शिवराज के कार्यकाल में हुए ई-टेंडरिंग घोटाले में FIR
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 11, 2019 03:30 AM2019-04-11T03:30:45+5:302019-04-11T03:30:45+5:30
भाजपा शासनकाल में हुए सबसे बड़े ई-टेंडरिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू अब तक नौ टेंडरों के टेम्परिंग की जांच कर रही है. इसको लेकर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने तत्कालीन शिवराज सरकार की घेराबंदी भी की थी, लेकिन सरकार बनने के बाद मामला ठंडा पड़ गया था.
आयकर छापों के बाद प्रदेश की कमलनाथ सरकार शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों और भ्रष्टाचार को लेकर सख्त हो गई है. भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर अब सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है. इसके चलते पिछली ई-टेंडरिंग घोटाले में आर्थिक अपराध अंवेशष ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) में अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गई है. यह एफआईआर 7 कंपनियों के डायरेक्टर और अज्ञात कर्मचारियों, अधिकारियों एवं नेताओं के खिलाफ दर्ज की गई है.
प्रदेश में हुए हजारों करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू में एफआईआर दर्ज की है. आयकर छापेमारी के बाद से सत्तारुढ़ कांग्रेस और भाजपा के बीच तनाव की स्थिति निर्मित हुई, जिसके चलते कमलनाथ सरकार ने यह कार्रवाई की. माना जा रहा है कि अब कांग्रेस सरकार, भाजपा सरकार के समय हुए घपलों, घोटालों को लेकर गंभीर होगी और कार्रवाई करेगी. इसके चलते आज ई टेंडरिंग घोटाले को लेकर 5 अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं. एफआईआर जल संसाधन विभाग, जल निगम, लोक निर्माण विभाग, एपीएसआईडीसी और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के तत्कालीन अधिकारियों एवं मंत्रियों के खिलाफ कराई गई है.
उल्लेखनीय है कि भाजपा शासनकाल में हुए सबसे बड़े ई-टेंडरिंग घोटाले में ईओडब्ल्यू अब तक नौ टेंडरों के टेम्परिंग की जांच कर रही है. इसको लेकर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने तत्कालीन शिवराज सरकार की घेराबंदी भी की थी, लेकिन सरकार बनने के बाद मामला ठंडा पड़ गया था. अब जबकि चुनाव के वक्त मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ और सहयोगियों के यहां आयकर छापे की कार्रवाई हुई तो सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है.
जानिए क्या है पूरा मामला
घोटाले का खुलासा सबसे पहले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में (पीएचई) में हुआ था. जहां एक अधिकारी द्वारा पाया गया कि ई-प्रोक्योंरमेंट पोर्टल में टेम्परिंग करके हजार करोड़ रुपए मूल्य के तीन टेंडरों के रेट बदल दिए गए थे. इस पूरे मामले में ई-पोर्टल में टेंपरिंग से दरें संशोधित करके टेंडर प्रक्रिया में बाहर होने वाली कंपनियों को टेंडर दिलवा दिया जाता था. इस तरह से मनचाही कंपनियों को कांट्रेक्ट दिलवाने का काम बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से अंजाम दिया जाता था.
इस खुलासे ने एक तरह से मध्यप्रदेश में ई-टेंडरिंग व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है और इसके बाद एक के बाद एक कई विभागों में ई-प्रोक्योरमेंट सिस्टम में हुए घपलों के मामले सामने आ रहे हैं. अभी तक अलग-अलग विभागों के 15 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा के टेंडरों में गड़बड़ी सामने आ चुकी है, जिसमें मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एमपीआरडीसी), लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल निगम, महिला बाल विकास, लोक निर्माण, नगरीय विकास एवं आवास विभाग, नर्मदा घाटी विकास जल संसाधन सहित कई अन्य विभाग शामिल हैं.
इस घोटालों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज के नजदीकी माने जाने वाले करीब आधा दर्जन आईएएस शक के दायरे में हैं.