लोकसभा चुनाव 2019: 75 साल की सुमित्रा महाजन इंदौर से उम्मीदवार!
By हरीश गुप्ता | Published: March 24, 2019 08:11 AM2019-03-24T08:11:38+5:302019-03-24T08:11:53+5:30
मध्यप्रदेश की ही भोपाल ,विदिशा और ग्वालियर जैसी अहम सीट के उम्मीदवारों की घोषणा भी अभी रोक कर रखी गई है
अधिक उम्र की वजह से पार्टी के सबसे कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी और कुछ अन्य नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद अब भाजपा आला कमान ने इस पर फिलहाल विराम लगा दिया है. पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति (सीईसी)में चल रही कवायद केे जानकारों का कहना है कि जीतने की संभावनाओं और अन्य कारणों के मद्देनजर कुछ बुजुर्गों को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. इनमें 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन प्रमुख हैं. वह इंदौर संसदीय क्षेत्र से लगातार आठ बार चुनी जा चुकी हैं और अभी भी लोकप्रिय हैं.
समझा जाता है कि सीईसी ने विगत रात्रि इनके नाम को हरी झंडी दे दी है और इसकी औपचारिक घोषणा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अलग से करेंगे. मध्यप्रदेश की ही भोपाल ,विदिशा और ग्वालियर जैसी अहम सीट के उम्मीदवारों की घोषणा भी अभी रोक कर रखी गई है. हालांकि एल के आडवाणी, भगत सिंह कोश्यारी और बी सी खंडूरी (दोनों उत्तराखंड)और हुकुम देव नारायण यादव(बिहार) को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है, लेकिन यह तय है कि 75 साल की उम्र सीमा का सिद्धांत सुमित्रा महाजन पर लागू नहीं होगा.
यहां उल्लेखनीय है कि असम में गुवाहाटी से विजया चक्रवर्ती (79 वर्ष)का टिकट काट कर क्वीन ओझा को टिकट दिया गया. इसी प्रकार डॉ. बंसीलाल महतो (78 वर्ष ) को कोवरा में टिकट से वंचित कर दिया गया. शांता कुमार (हिमाचल प्रदेश),मुरली मनोहर जोशी(उत्तर प्रदेश),करिया मुंडा (झारखंड)के बारे में अभी फैसला नहीं किया गया है क्योंकि इनकी सीटों पर बाद के चरण में मतदान होना है.
75 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद दो वर्ष पूर्व मंत्रि पद गंवाने वाले कलराज मिश्र ने देवरिया (यूपी )की दौड़ से पहले ही अपने को अलग कर लिया है और अपने बेटे के लिए यहां से टिकट चाहते हैं. मध्यप्रदेश में ग्वालियर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को मुरैना सीट पर भेज दिया गया है जबकि यहां के भाजपा सांसद और पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे को टिकट नहीं दिया गया.राज्य में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने उन्हे लड़ाया था लेकिन वह हार गए. इसी लिए पार्टी ने संसदीय चुनाव में उन्हे बाहर का रास्ता दिखा दिया है.