योगी आदित्यनाथ राजनीतिक रूप से इतने अपरिपक्व कैसे हो सकते हैं?

By विकास कुमार | Published: February 12, 2019 07:20 PM2019-02-12T19:20:49+5:302019-02-12T19:20:49+5:30

जिस तरह से आज अखिलेश यादव को रोका गया और धर्मेंद्र यादव को लाठियों से पीटा गया उससे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जो वैचारिक रूप से और संगठन के स्तर पर बंटे हुए हैं, चुनाव से पहले भावनात्मक रूप से अखिलेश यादव के पक्ष में संगठित हो सकते हैं.

Yogi Adityanath shows immaturity after stoping Akhilesh Yadav to go Allahabad university | योगी आदित्यनाथ राजनीतिक रूप से इतने अपरिपक्व कैसे हो सकते हैं?

योगी आदित्यनाथ राजनीतिक रूप से इतने अपरिपक्व कैसे हो सकते हैं?

उत्तर प्रदेश की राजनीति लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी हलचल को महसूस करने लगी है. बीते दिन प्रियंका गांधी के रोड शो के बाद आज प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रदेश की राजनीति के आगामी ट्रेंड का संकेत दे दिया है. प्रियंका गांधी की रैली और रोड शो में कोई भी राजनीतिक व्यावधान नहीं उत्पन्न करने वाले योगी आदित्यनाथ आखिर अखिलेश यादव को प्रयागराज जाने से क्यों रोकना चाहते हैं?

आज सुबह उस समय बवाल मच गया जब अखिलेश यादव को लखनऊ एयरपोर्ट पर रोक दिया गया. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे अखिलेश को रोक दिया गया. इसका असर लखनऊ से लेकर इलाहाबाद तक देखा गया. 

अखिलेश यादव को रोकना आत्मघाती कदम 

अखिलेश यादव को रोके जाने के खिलाफ समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सामने प्रदर्शन कर रही थी. इसमें बदायूं से सांसद धर्मेंद्र यादव का सर फूट गया. धर्मेंद्र यादव उत्तर प्रदेश के सबसे ताकतवर राजनीतिक यादव परिवार से आते हैं. उन पर लाठी चार्ज होने का सन्देश पूरे राज्य में जायेगा और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को भावनात्मक रूप से एकजुट करने का काम करेगी. क्या योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक समझ इस स्तर पर आ गई है कि उन्हें ये अंदेशा नहीं है कि इसका इम्पैक्ट क्या होगा? क्या योगी आदित्यनाथ सपा-बसपा के गठबंधन होने से इतना डर गए हैं कि उन्हें दबाने के लिए राजनीतिक दमन का सहारा लेंगे. 

योगी आदित्यनाथ ने आशंका जताई है कि अगर अखिलेश प्रयागराज जाते हैं तो हिंसा की आशंका है. यह तर्क अपने आप में राजनीतिक नासमझी का सबसे बड़ा सबूत है. अखिलेश यादव किस तरह की हिंसा फैलायेंगे इस पर भी उन्हें प्रकाश डालना चाहिए था. दरअसल योगी आदित्यनाथ और बीजेपी सपा-बसपा गठबंधन का तोड़ नहीं ढूंढ पा रही है और कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी के लांच होने के बाद उनकी राजनीतिक बौखलाहट अब इस स्तर पर पहुंह गई है कि ये प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री को लोगों से मिलने से रोक देना चाहते हैं. 

अखिलेश यादव को होगा फायदा 

ऐसा नहीं है कि समाजवादी पार्टी में सब कुह ठीक ही चल रहा है. पार्टी के संस्थापक नेता जी उर्फ़ मुलायम सिंह यादव हाशिये पर धकेल दिए गए हैं. शिवपाल यादव अलग पार्टी बना चुके हैं और प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. समाजवादी पार्टी के वोटों को काटने के लिए तैयार बैठे हैं और खुद बीजेपी से उन्हें नैतिक समर्थन मिल रहा है. लेकिन जिस तरह से आज अखिलेश यादव को रोका गया और धर्मेंद्र यादव को लाठियों से पीटा गया उससे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जो वैचारिक रूप से और संगठन के स्तर पर बंटे हुए हैं, चुनाव से पहले भावनात्मक रूप से अखिलेश यादव के पक्ष में संगठित हो सकते हैं. 

राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा असर 

योगी सरकार के इस कदम का असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ने वाला है. चुनाव से पहले जनता में यह सन्देश जा सकता है कि योगी सरकार चुनाव से पहले अपने विरोधियों को कुचलना चाहती है. यह चुनाव जनता के हितों को साधने वाले मुद्दों पर नहीं होने जा रहा है क्योंकि भारतीय राजनीति चुनाव से पहले अपने सबसे विकराल रूप धारण कर लेती है. ऐसे में जब लड़ाई पॉलिटिकल परसेप्शन की है तो फिर योगी आदित्यनाथ ने सेल्फ गोल किया है जिसका दूरगामी असर पड़ सकता है.

Web Title: Yogi Adityanath shows immaturity after stoping Akhilesh Yadav to go Allahabad university

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